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created May 24th 2022, 05:00 by prayashshorthand classes
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दलाई लामा तिब्बत की पुरातन परम्परा के 14वें धर्म गुरू हैं. दलाई लामा एक उपाधि है, जिसका अर्ध है – विद्धता का सागर. पहली बार यह उपाधि 16वीं शताब्दी के अन्त में सोनाम गयात्यों को मंगोलिया के राजा अल्तन खॉं अईम ने उनके सम्मान में दी थी. कौन जानता था कि पूर्वी तिब्बत के आप्दी प्रान्त के एक गरीब किसान परिवार का यह बालक दुनिया के बौद्ध धर्मावलम्बियों द्वारा ‘जीवित बुद्ध’ के रूप में पूजा जाएगा. दलाई लामा का मूल नाम तेनजिन ग्यात्सों है . दो वर्ष की उम्र में ही तिब्बती उन्हें पिछले दलाई लामा के अवतार के रूप में मानने लगे थे. आज भी 60 लाख तिब्बती उन्हें दया का देवता अवलोवितेश्वर (चेन-रेजी) का अवतार मानते हैं, किन्तु अत्यन्त विनम्र और संकोची दलाई लामा स्वंय को एक बौद्ध भिक्षु से अधिक कुछ नहीं मानते. माओ-त्से-तुंग की सेना ने तिब्बत पर कब्जा करने के लिए जब 1950 में आक्रमण किया, तब 15 वर्ष की अवस्था में दलाई लामा को पेइचिंग जाकर माओ से समझौता-वार्ता करनी पड़ी थी. चीनी साम्राज्यवाद के विरूद्ध सन् 1959 में तिब्बत शरणार्थियों के साथ हिमाचल प्रदेश में ‘धर्मशाला ’ नामक क्षेत्र में रह रहे हैं, ‘नन्हे ल्हासा’ (ल्हासा तिब्बत की राजधानी है) के रूप में धर्मशाला आज दलाई लामा की निर्वाचित सरकार का मुख्यालय बन चुका है. महात्मा गांधी, दलाई लामा के प्रेरणा-स्त्रोत हैं. शान्ति और अहिंसा पर उनका अटूट विश्वास है. दलाई लामा कहते है.— “मुझे महात्मा गांधी के अहिंसा के रास्ते पर पूरा भरोसा है. मुझे हमेशा इसी से प्रेरणा मिली है और मुझे आशा है कि तिब्बत का सवाल हल होकर रहेगा. अहिंसा के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.” इसमें कोई संदेह नहीं कि नोबेल शान्ति पुरस्कार पाने के बाद एक शान्तिवादी और अंहिसावादी नेता के रूप में दलाई लामा की अन्तर्राष्ट्रीय छवि निमिर्त हुई है. इस तथ्य को दलाई लामा स्वंय करते हुए कहते हैं, भिक्षु होने के नाते मुझे पुरस्कारों से फर्क नहीं पड़ना चाहिए.
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