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DURGA TYPING CENTER न्यायालय का आरक्षण
created Saturday May 14, 02:58 by sharda12345
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जिस व्यक्ति को ऐसी संपत्ति पड़ी मिल जाती है जो किसी अन्य व्यक्ति केे कब्जे मे नही है और वह उसके स्वामी के लिए उसको संरक्षित रखने या उसके स्वामी काे उसके स्वामी को उसे प्रत्यावर्तित करने केे प्रयोजन से ऐेसी संपत्ति काेे लेता है वह न तो बेईमानी से उसे लेता है और न बेईमानी से उसका दुर्विनियोग करता है , और निकालने के साधन रखतेे हुए अथवा उसके स्वामी को खोज निकालने और सूचना देने के युक्तियुक्त साधन उपयाेग मे लाने और उसके स्वामी काेे उसकी मांग करने को समर्थ करने के लिए उस संपत्ति काेे युक्तियुक्त समय तक रखे रखने के पूर्व उसकाे अपने लिए विनियोजित कर लेता है ऐसी दशा मे युक्तियुक्त साधन क्या है ,या युक्तियुक्त समय तक रखे, यह तथ्य उसका स्वामी है यह पर्याप्त है कि कोई विशिष्ट व्यक्ति उसका स्वामी है यह आवश्यक नहीं है कि पाने वाला यह जानता हो कि संपत्ति का स्वामी नहीं है कि वह उसकी संपत्ति है ,या सद्भावपूर्वक यह विश्वास है कि उसका असली स्वामी नहीं मिल सकता जो कोई संपत्ति या संपत्ति पर कोई अख्तियार किसी प्रकार अपने को व्यस्त किए जाने पर उस संपत्ति का बेईमान से दुर्विनियोग कर लेता है या उसे अपने उपयोग मे संपरिवर्तन कर लेता।
सामान्य वर्ग के गरीबो काेे10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के कानून के खिलाफ दायर याचिकाओ पर सुप्रीम कोर्ट मे बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी, बुधवार काेे सुप्रीम कोर्ट तय कर सकता है कि इस मामले को संविधान पीठ केे पास भेजा जाए या नही , मंगलवार काेे याचिकाकर्ता की ओर से राजीव धवन ने दलील देते हुए कहा कि सरकार का येे फैसला संविधान के बुनियादी ढांचे और इंदिरा साहनी मामले मे आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी रखने के सुप्रीम काेर्ट के आदेश का उल्लंघन है याचिकाकर्ता तहसीन पूूनावाला की और से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट इस पर रोक लगाए चुका हो पाएगा, दरअसल याचिका मे सुप्रीर्ट कोर्ट मे 124 वे संविधान संशोधन को चुनौती दी गई है यह याचिका यूथ वकील कौशलकांत मिश्रा और अन्य की ओर से दाखिल दी गई थी इनकेे मुताबिक आरक्षण का आधार आर्थिक नहीं हो सकता , याचिका के मुताबिक विधेयक संविधान के आरक्षण का आधार आर्थिक नहीं हो सकता देने के मूल सिद्धांत के खिलाफ है यह सामान्य वर्ग काेे 10 प्रतिशत आरक्षण देनेेेे के साथ-साथ 50 प्रतिशत से सीमा का भी उल्लंंघन करता है आरक्षण देता है कि यह विधेयक सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानो मे सवर्णों काेे10 फीसदी आरक्षण देता है।
सामान्य वर्ग के गरीबो काेे10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के कानून के खिलाफ दायर याचिकाओ पर सुप्रीम कोर्ट मे बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी, बुधवार काेे सुप्रीम कोर्ट तय कर सकता है कि इस मामले को संविधान पीठ केे पास भेजा जाए या नही , मंगलवार काेे याचिकाकर्ता की ओर से राजीव धवन ने दलील देते हुए कहा कि सरकार का येे फैसला संविधान के बुनियादी ढांचे और इंदिरा साहनी मामले मे आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी रखने के सुप्रीम काेर्ट के आदेश का उल्लंघन है याचिकाकर्ता तहसीन पूूनावाला की और से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट इस पर रोक लगाए चुका हो पाएगा, दरअसल याचिका मे सुप्रीर्ट कोर्ट मे 124 वे संविधान संशोधन को चुनौती दी गई है यह याचिका यूथ वकील कौशलकांत मिश्रा और अन्य की ओर से दाखिल दी गई थी इनकेे मुताबिक आरक्षण का आधार आर्थिक नहीं हो सकता , याचिका के मुताबिक विधेयक संविधान के आरक्षण का आधार आर्थिक नहीं हो सकता देने के मूल सिद्धांत के खिलाफ है यह सामान्य वर्ग काेे 10 प्रतिशत आरक्षण देनेेेे के साथ-साथ 50 प्रतिशत से सीमा का भी उल्लंंघन करता है आरक्षण देता है कि यह विधेयक सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानो मे सवर्णों काेे10 फीसदी आरक्षण देता है।
