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म.प्र . सिविल सेवा
created Mar 21st 2022, 11:19 by 9131107994
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				 म.प्र . सिविल सेवा ( वर्गीकरण , नियंत्रण तथा अपील ) नियम , 1966 विभागीय सचिव को प्राधिकृत करने के आदेश को दिये थे । अभियोजन की स्वीकृतियां जारी करने में आने वाली कठिनाइयों को देखकर शासन ने अब निर्णय लिया है कि यह अधिकारी पूर्वानुसार विधि सचिव को पुनः दिये जाएं । तद्नुसार मध्यप्रदेश शासन कार्य ( आवंटन ) नियम एव कार्य नियम में संशोधन किये गये , जो असाधारण राजपत्र में  को प्रकाशित हुए । इन संशोधनों के फलस्वरूप अभियोजन की स्वीकृतियां देने के लिए प्रशासकीय विभाग के जो अधिकार हैं , वे समाप्त कर दिये गये हैं और उक्त कार्य विधि विभाग को हस्तांतरित किया गया है । इस संशोधन के अनुक्रम में माननीय मुख्यमंत्रीजी ने दिनांक को उनमें निहित प्राधिका का अनुसरण करते हुए अभियोजन की स्वीकृतियां जारी करने के प्रकरणों का निपटारा करने के लिए विधि सचिव को अधिकृत किया है । 2. असाधारण राजपत्र दिनांक 3-2-88 की प्रति और माननीय मुख्यमंत्रीजी द्वारा पारित आदेश दिनांक 8-2-88 की प्रति सूचनार्थ तथा आवश्यक कार्यवाही के लिए संलग्न है । 3. शासन ने यह भी निर्णय लिया है कि अभियोजन स्वीकृत का आदेश जारी करने के पूर्व प्रमुख सचिव , विधि और विधायी कार्य विभाग संबंधित विभाग का मत प्राप्त करेगा अभियोजन की स्वीकृति कार्य आवंटन नियम तथा कार्य नियमों में आवश्यक संशोधन किए जाकर उक्त अधिनियमों के अंतर्गत अभियोजन की स्वीकृति से संबंधित प्रकरणों का निपटारा करने के लिए विधि विभाग को अधिकृत किया गया है । इस संबंध में कार्मिक प्रशासनिक सुधार एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जो प्रक्रिया निर्धारित की गई है , उसी तारतम्य में निम्नानुसार व्यवस्था की जाती है दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 197 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम , 1947 की धारा 6 के प्रावधानों के अनुसार राज्य शासन द्वारा प्रायः ऐसे शासकीय अधिकारियों के अभियोजन की स्वीकृति देने अथवा न देने के प्रश्न पर विचार किया जाता है , जिसकी नियुक्ति राज्य शासन द्वारा की गई हो और जो राज्य शासन के आदेश के बिना अपने पद से न हटाये जा सकते हों तथा जिन पर • अपनी पदीय कर्त्तव्य के निर्वहन में किसी अपराध के किये जाने का आरोप हो । किसी शासकीय अधिकारी के अतिरिक्त शासकीय कर्मचारी वर्ग -3 वर्ग 4 के विरुद्ध भी मामले आते हों , जिनमें सामान्यतः उनकी नियुक्ति करने वाले शासकीय अधिकारी ही अभियोजन की स्वीकृति देने हेतु सक्षम है , किन्तु लोकायुक्त संगठन द्वारा जिन वर्ग -3 और 4 के कर्मचारी के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति के मामले आए , उनका निपटारा भी शासन स्तर पर होना चाहिए , ताकि लोकायुक्त जैसे महत्वपूर्ण संगठन द्वारा की गई कार्यवाही के संबंध में चाही गई अभियोजन की स्वीकृति बाबत त्वरित गति से विचार हो सके । शेष एजेंसियों द्वारा वर्ग -3 एवं 4 के कर्मचारियों के विरुद्ध चाही गई अभियोजन की स्वीकृति का कार्य संबंधित नियुक्तिकर्ता अधिकारी करते रह सकते हैं । * किसी शासकीय अधिकारी एवं उपरोक्त विधि परिधि में आने वाले वर्ग 3 एवं 4 के शासकीय कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए संबंधित व्यक्ति एवं अन्वेषण एजेंसी को ऐसे शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारी के प्रशासनिक विभाग को निवेदन करना होगा । अन्वेषण अधिकारी नियमानुसार अपने वरिष्ठ अधिकारी के माध्यम से निवेदन करेंगे । प्रशासनिक विभाग ऐसे आवेदन पक्षों के संबंध में अपना प्रशासकीय मत अंकित करेगा और तत्पश्चात् ऐसे आवेदन पत्र एवं शासकीय मत की नस्ती आवश्यक कार्यवाही हेतु विधि एवं विधायी कार्य विभाग को प्रशासकीय विभाग द्वारा प्रेषित की जाएगी । 
			
			
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