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Aarav Classes morena Ssc,Vyapam,High Court,District Court Typing 8871648109, 7987156609
created Mar 5th 2022, 01:26 by 123698
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अभियुक्त जो कि अलग-अलग शस्त्रों से सज्जित थे, खिडकियॉं और दरवाजे तोड़कर एक पुलिस वायरलेस स्टेशन में घुस गये और वहॉं लोगों पर हमला कर दिया। यह नहीं पता लग पा रहा था कि हमले का कौन सा कार्य किस व्यक्ति विशेष का था। यह अभिनिर्धारित हुआ कि सारे अभियुक्तों के बारे में समझा जाएगा कि वे प्रच्छन्न गृह-अतिचार के सामान्य उद्देश्य के भागीदार थे और उन सबको भा.दं.सं. की धारा 149/455 के अधीन दोषसिद्ध ठहराया जा सकता था। उसी प्रकार जहॉं सभी अभियुक्तों ने मिलकर हमला किया था और सभी ने बन्दूकें चलायी थी, एक अभियुक्त जिसका कि कहना यह था कि उसने केवल लाठी का ही प्रयोग किया था उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 302/149 के अधीन दोषसिद्ध ठहराया जा सकता था क्योंकि हत्या करने का सामान्य उद्देश्य स्पष्ट रूप से साबित था। जहॉं भाले एवं लाठियॉं लिए हुए सभी नौ अभियुक्तों ने मृतक और उसके परिवार के सदस्यों पर हमला करने में हिस्सा लिया था, यह अभिनिर्धारित हुआ कियह माना जा सकता था कि उन्होंने मृतक एवं उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करने के लिए विधिविरूद्ध जमाव गठित किया था, धारा 302/149 तथा 307/149 के अधीन अभियुक्तोंंकी दोषसिद्ध उचित थी।यदि सामान्य उद्देश्य साबित हो जाय तो यह आवश्यक नहीं हैकि प्रत्येक अपीलार्थी से कोई न कोई खुला कार्य आबद्ध किया जाय, ओर वे सब भा.दं.सं. की धारा 302/149 के अधीन दण्डनीय होगे। जहॉं किसी सम्पत्ति विवाद को लेकर दो निर्दोष नौजवान लड़कियॉं की हत्या उनकी मॉं को सबक सिखाने के लिए बड़ी क्रूूरता से कर दी गयी थी, हत्यारे दल के प्रत्येक सदस्य को मृत्यु अधिकतम दंड का दोषी के पात्र माना गया, क्योंकि वह “बिरलों में बिरल” कोटि का मामला था।
जहॉं एक पुलिस अधिकारी की मृत्यु उस समय कारित की गई थी जब कि वह अभियुक्त को गिरफ्तार कर रहा था और जो लोग उसे पकड़े हुए थे उनका आशय केवल उसे उसका कर्तव्य पालन करने से रोकना था, किन्तु मुख्य अभियुक्त ने अचानक उसे मार ड़ाला, यह अभिनिर्धारित हुआ कि विधिविरूद्ध जमाव का सामान्य उद्देदेश्य पुलिस को उसके कर्तव्य पालन से भयोपरत करना था और न कि हत्या करना। उनकी दोषसिद्धि को धारा 302/149 से बदल कर धारा 353/149 के अधीन कर दिया गया। जहॉं अभियुक्तों में से एक ने एक ही परिवार के तीन लोगों को एक के बाद एक मार डाला था जब कि दूसरे अभियुक्त शिकार हुए व्यक्तियों को पकड़ेे रहते थे, यह पाया कि अभियुक्तों ने तीनों व्यक्तियों को मार डालने के सामान्य उद्देश्य से विधि-विरूद्ध जमाव गठित कर लिया गया था।
जहॉं एक पुलिस अधिकारी की मृत्यु उस समय कारित की गई थी जब कि वह अभियुक्त को गिरफ्तार कर रहा था और जो लोग उसे पकड़े हुए थे उनका आशय केवल उसे उसका कर्तव्य पालन करने से रोकना था, किन्तु मुख्य अभियुक्त ने अचानक उसे मार ड़ाला, यह अभिनिर्धारित हुआ कि विधिविरूद्ध जमाव का सामान्य उद्देदेश्य पुलिस को उसके कर्तव्य पालन से भयोपरत करना था और न कि हत्या करना। उनकी दोषसिद्धि को धारा 302/149 से बदल कर धारा 353/149 के अधीन कर दिया गया। जहॉं अभियुक्तों में से एक ने एक ही परिवार के तीन लोगों को एक के बाद एक मार डाला था जब कि दूसरे अभियुक्त शिकार हुए व्यक्तियों को पकड़ेे रहते थे, यह पाया कि अभियुक्तों ने तीनों व्यक्तियों को मार डालने के सामान्य उद्देश्य से विधि-विरूद्ध जमाव गठित कर लिया गया था।
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