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ACADEMY FOR STENOGRAPHY, MORENA,DIR- BHADORIYA SIR TYPING MPHC JUNIOR JUDICIAL ASSISTANT
created Jan 24th 2022, 10:44 by ThakurAnilSinghBhado
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उच्चतम न्यायालय में आवेदक का पक्षकथन इस प्रकार हैं। आवेदक जीनत फातिमा रशीद का विवाह मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार तारीख 02.12.1987 को मोहम्मद इकबाल अनबर के साथ हुआ था विवाह के पश्चात् वे पति के घर पति और पत्नी के रूप में रहे। तारीख 03.11.1989 को उसके एक पुत्र पैदा हुआ। इसके पश्चात् उसको पति और उसकी ससुराल वालों के द्वारा उसके साथ दुर्व्यवहार किया जाने लगा। अत: उसने 13.08.1990 को एक दांडिक मामला संस्थित किया जो 1990 का मामला संख्या 87 है। अन्य कोई विकल्प न पाने पर उसको अपने पति का घर छोड़ना पड़ा और अपनी सम्पत्तियां को वापस पाने के लिए उसे एक दांडिक मामला फाइल करना पड़ा और वे सम्पत्तियां उसे 31.08.1990 को प्राप्त हो गई। तत्पश्चात् उसने अपने और अपने अवयस्क पुत्र के भरण-पोषण का दावा करते हुए तारीख 29.08.1990 को अपने पति के विरुद्ध दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अधीन एक मामला भी फाइल किया। मोहम्मद इकबाल अनवर (प्रत्यर्थी) ने लिखित कथन फाइल करते हुए इस मामले का विरोधि किया। उसकी मुख्य प्रतिरक्षा यह है कि उसने अपने पत्नी (यहां आवेदक) को 31.08.1990 को तलाक दे दिया था। कुटुम्ब न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि तलाक सम्यक् रूपेण हुआ था और इसलिए भरण-पोषण के दावे का निर्धारण मुस्लिम स्त्री (विवाह विच्छेद पर अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 265 के अधीन किया जाएगा। बच्चे के भरण-पोषण के संबंध में कुटुम्ब न्यायालय ने यह निदेश दिया कि मंजूर किया गया अंतरिम भरण-पोषण मामले का अंतिम निपटारा किए जाने तक चालू बना रहेगा। अत: यह आवेदन किया गया है। 18.09.1986 को दोपहर के करीब 2 बजे वायुसेना पुलिस थाने के दो कर्मचारियों द्वारा पालम के वायुसेना इलाके अधिकारिता के अंतर्गत प्रतिषिद्ध इलाके में पाया गया था। अभियोजन की कहानी के अनुसार वायुसेना के उक्त दोनों कर्मचारी अर्थात् वारंट आफिसर एम. एन. गुरेजा और सारजेंट नारायण सिंह उक्त इलाके में गश्त लगा रहे थे। उनके अनुसार उस समय अपीलार्थी सड़क पर आ रहा था। अपीलार्थी ने वायुसेना पुलिस को देखते ही वापस लौटने का प्रयास किया जिससे उन्हें संदेह पैदा हुआ और वायु सेना पुलिस ने उसकी पहचान सुनिश्चित करने की दृष्टि से अपीलार्थी को रोका।
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