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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jan 24th 2022, 08:45 by sandhya shrivatri
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एक बार वैज्ञानिकों ने शारीरिक की बदलाव की क्षमता की जांच के लिए एक शोध किया। शोध में एक मेंढ़क लिया गया और उसे एक कांच के जार में डाल दिया गया, फिर जार में पानी भरकर उसे गर्म किया जाने लगा। जार में ढक्कन नहीं लगाया गया था, ताकि जब पानी का गर्म ताप मेंढक की सहनशक्ति से बाहर हो जाए, तो वह कूदकर बाहर आ सके।
प्रारंभ में मेंढक शांति से पानी में बैठा रहा जैसे पानी का तापमान बढ़ना प्रारंभ हुआ, मेंढक में कुछ हलचल सी हुई, उसे समझ में तो आ गया कि वो जिस पानी में बैठा है, वो हल्का गर्म सा लग रहा है लेकिन कूदकर बाहर निकलने के स्थान पर वो अपनी शरीर की ऊर्जा बढ़े हुए तापमान से तालमेल बैठाने में लगाने लगा।
पानी थाड़ा और गर्म हुआ, मेंढक को पहले से अधिक बेचैनी महसूस हुई लेकिन वह बेचैनी उसकी सहनशक्ति की सीमा के भीतर ही थी। इसलिए वह पानी से बाहर नहीं कूदा, बल्कि अपने शरीर की ऊर्जा उस गर्म पानी में तालमेल बैठाने लगाने लगा। धीरे-धीरे पानी और ज्यादा गर्म होता गया और मेंढक अपने शरीर की अधिक ऊर्जा पानी के बढ़े हुए तापमान से तालमेल बैठाने में लगता रहा। जब पानी उबलने लगा, तो मेंढक की जान पर बन आई, अब उसकी सहनशक्ति जवाब दे चुकी थी, उसने जार से बाहर कूदने के लिए अपने शरीर की शक्ति बटोरी, लेकिन वह पहले ही शरीर की समस्त ऊर्जा धीरे-धीरे उबलते पानी से तालमेल बैठाने में लगा चुका था। अब उसके शरीर में जार से बाहर कूदने की ऊर्जा शेष नहीं थी, वह जार से बाहर कूदने में नाकाम रहा और उसी जार में मर गया।
सीख- यदि समय रहते उसने अपनी शरीर की ऊर्जा का प्रयोग जार से बाहर कूदने में किया होता तो वह जीवित होता।
प्रारंभ में मेंढक शांति से पानी में बैठा रहा जैसे पानी का तापमान बढ़ना प्रारंभ हुआ, मेंढक में कुछ हलचल सी हुई, उसे समझ में तो आ गया कि वो जिस पानी में बैठा है, वो हल्का गर्म सा लग रहा है लेकिन कूदकर बाहर निकलने के स्थान पर वो अपनी शरीर की ऊर्जा बढ़े हुए तापमान से तालमेल बैठाने में लगाने लगा।
पानी थाड़ा और गर्म हुआ, मेंढक को पहले से अधिक बेचैनी महसूस हुई लेकिन वह बेचैनी उसकी सहनशक्ति की सीमा के भीतर ही थी। इसलिए वह पानी से बाहर नहीं कूदा, बल्कि अपने शरीर की ऊर्जा उस गर्म पानी में तालमेल बैठाने लगाने लगा। धीरे-धीरे पानी और ज्यादा गर्म होता गया और मेंढक अपने शरीर की अधिक ऊर्जा पानी के बढ़े हुए तापमान से तालमेल बैठाने में लगता रहा। जब पानी उबलने लगा, तो मेंढक की जान पर बन आई, अब उसकी सहनशक्ति जवाब दे चुकी थी, उसने जार से बाहर कूदने के लिए अपने शरीर की शक्ति बटोरी, लेकिन वह पहले ही शरीर की समस्त ऊर्जा धीरे-धीरे उबलते पानी से तालमेल बैठाने में लगा चुका था। अब उसके शरीर में जार से बाहर कूदने की ऊर्जा शेष नहीं थी, वह जार से बाहर कूदने में नाकाम रहा और उसी जार में मर गया।
सीख- यदि समय रहते उसने अपनी शरीर की ऊर्जा का प्रयोग जार से बाहर कूदने में किया होता तो वह जीवित होता।
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