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ACADEMY FOR STENOGRAPHY, MORENA,DIR- BHADORIYA SIR TYPING MPHC JUNIOR JUDICIAL ASSISTANT
created Jan 10th 2022, 10:37 by ThakurAnilSinghBhado
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वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर निर्वाचन आयोग का चुनाव खर्च बढ़ाने का फैसला उचित कहा जा सकता है। हर चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग चुनाव खर्च का अनुमान भी लगाता है। उसी के अनुसार खर्च सीमा तय करता है। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने विधानसभा प्रत्याशी के लिए खर्च सीमा अट्ठाईस लाख रुपए से बढ़ा कर चालीस लाख रुपए कर दी है। इसी तरह लोकसभा के लिए पंचानबे लाख रुपए तय किया गया है। नियम के मुताबिक कोई भी प्रत्याशी तय सीमा से अधिक पैसा चुनाव पर खर्च नहीं कर सकता। इसके लिए प्रत्याशियों को बाकायदा अपने खर्च का प्रमाण भी जमा कराना पड़ता है। उसके जमा कराए प्रमाण और खर्च संबंधी दावों की जांच भी की जाती है। अगर निर्वाचन आयोग को लगता है कि कोई प्रत्याशी तय सीमा ने अधिक खर्च कर रहा है तो उसे नोटिस भी जारी करता है। मगर हकीकत यह भी है कि अब तक इसके लिए किसी को दंडित नहीं किया गया है। फिर यह भी छिपी बात नहीं कि गिने-चुने ऐसे प्रत्याशी होंगे, जो निर्वाचन आयोग द्वारा तय सीमा में धन खर्च करते हैं। ये वही लोग होते हैं, जिनके पास पैसे नहीं होते। वरना आजकल ग्राम पंचायत जैसे मामूली चुनावों में भी कई प्रत्याशी चालीस लाख से अधिक रुपए खर्च कर देते हैं। विधानसभा और लोकसभा के चुनाव धीरे-धीरे धनबल और बाहुबल के आधार पर लड़े और जीते जाने लगे हैं इस तरह इन चुनावों में पानी की तरह पैसा बहाया जाने लगा है। मतदाताओं को लुभाने के लिए मंहगे उपहार देने की परंपरा धड़ल्ले से चल निकली है। नगदी बांटने का भी खूब चलन है। हर चुनाव में निर्वाचन आयोग बड़े पैमाने पर नगदी, शराब, महंगे उपहार आदि की जब्ती करता है। इसके अलावा प्रचार सामग्री के रूप में आकर्षक पोस्टर, बड़े-बड़े बैनर, होर्डिंग, आसमान छूते कट-आउट और संचार माध्यमों में महंगे विज्ञापन पर अकूत पैसा खर्च किया जाता है। अब तो अपने पक्ष में खबरें छापने या बनी-बनाई खबरें छापने के लिए पैसे देने का चलन भी सुनने को मिलता रहता है। ऐसे में निर्वाचन आयोग की तय सीमा के बावजूद प्रत्याशी चुनाव में कितना पैसा खर्च करता होगा, इसका ठीक-ठीक अंदाजा लगाना मुश्किल बना रहता है।
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