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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Jan 10th 2022, 02:48 by lovelesh shrivatri


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भगवान विष्‍णु का विख्‍यात विरूपति वेंकटेश्‍वर मंदिर आन्‍ध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के तिरूपति में स्थित है। तिरूमला के सात पर्वतों में से एक वेंकटाद्रि पर बना श्री वेंकटेश्‍वर मन्दिर यहां आकर्षण का केंद्र है। इसलिए इसे सात पर्वतों का मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मन्दिर में प्रतिवर्ष लाखों की संख्‍या में भक्‍तजन दर्शनो के लिए आते है। कई शताब्‍दी पूर्व बने इस मन्दिर की सबसे खास बात इसकी दक्षिण भारतीय वास्‍तुकला और शिल्‍पकला का अद्भूत संगम है। चूंकि, तिरूपति भारत के सबसे विख्‍यात तीर्थस्‍थलों में से एक है, इसलिए यहां स्थित वेंकटेश्‍वर मन्दिर को दुनिया में सबसे अधिक पूजनीय स्‍थल कहा गया है। प्रतिदिन इस मन्दिर में एक से दो लाख लोग आते हैं, जबकि किसी खास अवसर या त्‍यौहार में आने वाले लोगों की संख्‍या लगभग 5 लाख तक पहुंच जाती है। पौराणिक आख्‍यानों के अनुसार, इस मन्दिर में स्‍थापित भगवान वेंकटेश्‍वर की मूर्ति में ही भगवान बसते हैं और वे यहां समुचे कलयुग में विराजमान रहेंगे। कहा जाता है कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं ने आर्थिक रूप से इस मन्दिर के निर्माण में खास योगदान रहा है। चूंकि भगवान वेंकटेश्‍वर को भगवान विष्‍णु का अवतार माना जाता है, इसलिए धारणा है कि प्रभु श्री विष्‍णु ने कुछ समय के लिए तिरूमला स्थिति स्‍वामी पुष्‍करणी नामक तालाब के किनारे निवास किया था। मन्दिर से सटे पुष्करणी पवित्र जलकुण्‍ड के पानी का प्रयोग केवल मन्दिर के कामों, मतलब भगवान की प्रतिमा की साफ करने, मन्दिर परिसर को साफ करने आदि के कामों में ही किया जाता है। इस कुण्‍ड का जल पूरी तरह से स्‍वच्‍छ और कीटाणुरहित है। लोग इस कुण्‍ड के पवित्र जल में डुबकी लगाते है। माना जाता है कि बैकुण्‍ठ में विष्‍णु इसी कुण्‍ड में स्‍नान किया करते थे। यह भी माना जाता है कि जो भी इसमें स्‍नान कर ले, उसके सारे पाप धुल जाते हैं और सभी सुख प्राप्‍त होते है। बिना यहां डुबकी लगाए कोई भी मन्दिर में प्रवेश नही कर सकता है। डुबकी लगाने से शरीर और आत्‍मा पूरी तरह से पवित्र हो जाते हैं। दरअसल, तिरूमला के चारों ओर स्थित छोटे-पर्वत, शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनी सप्‍तगिरी कहलातेे है। श्री वेंकटेश्‍वर का यह मन्दिर सप्‍तगिरि के सातवे पर्वत पर स्थित है, जो वेंकटाद्रि के नाम से विख्‍यात है। माना जाता है कि वेंकट पर्वतों के स्‍वामी होने के कारण ही विष्‍णु भगवान को वेंकटेश्‍वर कहा जाने गया। इन्‍हें सात पर्वतों का भगवान भी कहा जाता है। भगवान वेंकटेश्‍वर को बालाजी, गोविन्‍दा और श्रीनिवास के नाम से भी जाना जाता है। दर्शन करने वाले भक्‍तों के लिए विभिन्‍न स्‍थानों तथा बैकों से एक विशेष पर्ची कटती है। इसी पर्ची के माध्‍यम से श्रद्धालु भगवान वेंकटेश्‍वर के दर्शन कर सकते हैं। यहां पर बिना किसी भेदभाव रोकटोक के किसी भी जाति धर्म के लोग आजा सकते हैं, क्‍योंकि इस मन्दिर का पट सभी धर्मा‍नुयायियों के लिए खुला है। परिसर में कृष्‍ण देवर्या मंडपम आदि बने हुए हैं। मन्दिर के दर्शन के लिए तिरूमला पर्वतमाला पर पैदल यात्रियों के लिए तिरूमला तिरूपति देवस्‍थानम नामक विशेष मार्ग बनया गया है। इसके द्वारा प्रभु तक पहुंचने की चाहत पूरी की जा सकती है।    

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