Text Practice Mode
सॉंई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Sep 14th 2021, 13:48 by sandhya shrivatri
5
355 words
26 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रपति महोदय के अभि-भाषण पर जो धन्यवान का प्रस्ताव अभी पेश किया गया है मैं उसका हृदय से समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं। राष्ट्रपति जी ने अपने अभि-भाषण में खासतौर से आर्थिक विकास और कृषि के संबंध में उल्लेख किया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि पिछले वर्ष खाद्य और बीज का वितरण ठीक समय पर किसानों को किया गया है और साथ ही ईश्वर की कृपा रही जिससे वर्षा समय पर हुई तथा नहरों और नलकूपों से खेती की सिंचाई के लिए समय पर पानी मिला जिसका परिणाम यह दिखलाई दिया है कि इस साल अनाज की पैदावार पिछले साल की अपेक्षा कहीं अधिक होगी। मैं इस अवसर पर कुछ बातों की तरफ सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं, जिसका उल्लेख राष्ट्रपति जी के अभि-भाषण में नहीं किया गया है। जहां अभि-भाषण में कृषि उत्पादन, औद्योगिक उत्पादन, विदेश नीति तथा अन्य दूसरी बतों का वितरण किया गया है। हमारे देश में पिछले वर्ष आई बाढ़ का कहीं कोई जिक्र नहीं है। में समझता हूं कि राष्ट्रपति जी को अपने अभि-भाषण में इन सब बातों का भी उल्लेख कर देना चाहिए था।
आप जानते हैं कि पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण के नाम पर उत्तर भारत में जगह-जगह पर तनाव की स्थिति बनी है। आज से 30 साल पहले आरक्षण की बातों को माना गया था मैं आरक्षण का विरोधी नहीं हूं, परन्तु अब अन्य पिछड़ी जातियों के नाम पर जिस आरक्षण की मांग की जा रही है, वह तर्कसंगत नहीं है। जिस समय आरक्षण शुरू किया था उसका आधार यह था कि ऐसे लोग जिनके पास कोई राेजगार का, धंधे का साधन नहीं थे, जो जमींदारों के खेतों में काम करके किसी तरह अपने परिवार का पेट पालते थे लेकिन आज जो पिछड़ी जातियों के नाम की जो सूची तैयार की गई है उसकी जांच करेंगे तो पता चलेगा कि उसमें 5 प्रतिशत भी ऐसी जातियां नहीं हैं जो दूसरों के कर्जे पर या काम पर निर्भर हो। मेरा यह कहना है कि पिछ़ड़ी जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था से पहले इस बात की पूरी जांच करवाई जाए कि कौन-कौन सी जातियां आरक्षण की हकदार है।
आप जानते हैं कि पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण के नाम पर उत्तर भारत में जगह-जगह पर तनाव की स्थिति बनी है। आज से 30 साल पहले आरक्षण की बातों को माना गया था मैं आरक्षण का विरोधी नहीं हूं, परन्तु अब अन्य पिछड़ी जातियों के नाम पर जिस आरक्षण की मांग की जा रही है, वह तर्कसंगत नहीं है। जिस समय आरक्षण शुरू किया था उसका आधार यह था कि ऐसे लोग जिनके पास कोई राेजगार का, धंधे का साधन नहीं थे, जो जमींदारों के खेतों में काम करके किसी तरह अपने परिवार का पेट पालते थे लेकिन आज जो पिछड़ी जातियों के नाम की जो सूची तैयार की गई है उसकी जांच करेंगे तो पता चलेगा कि उसमें 5 प्रतिशत भी ऐसी जातियां नहीं हैं जो दूसरों के कर्जे पर या काम पर निर्भर हो। मेरा यह कहना है कि पिछ़ड़ी जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था से पहले इस बात की पूरी जांच करवाई जाए कि कौन-कौन सी जातियां आरक्षण की हकदार है।
saving score / loading statistics ...