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बंसोड टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0

created Sep 14th 2021, 08:59 by shilpa ghorke


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किसी के जीवन में दिन समान मूल्‍य के नहीं होते हैं। कोई सुख लाता है तो कोई दुख लाता है। दुख और सुख दोनों ही मनुष्‍य के जीवन के लिए समान रूप से महत्‍वपूर्ण हैं, क्‍योंकि वे एक सिक्‍के के दो पहलू हैं। जिस तरह हम सबसे खुशी के दिन को नहीं भूल सकते, उसी तरह हम अपने जीवन के सबसे दुखद दिन को भी नहीं भूल सकते। मेरे जीवन का सबसे दुखद दिन था दीपावली का दिन। दिवाली को खुशी का त्‍योहार माना जाता है और पिछली दिवाली तक यह मेरा पसंदीदा त्‍योहार था। पिछली दिवाली पर मैं और मेरी बहन, मैं और मेरा भाई पटाखे जलाने में व्‍यस्‍त  थे। मेरे हाथ में फुलझरी थी और दुर्भाग्‍य से मेरे बगल में खड़े मेरे छोटे भाई के हाथ में पटाखा था। इस पटाखा में आग लग गई और बहुत तेज धमाका सुना गया जिसने मुझे और मेरी बहन को हिला दिया। उसके बाद, हम सब खून से सने रुई, पट्टी, डेटॉल आदि के अलावा और कुछ नहीं सोच सकते थे। मेरा चचेरा भाई मेरे भाई को डॉक्‍टर के पास ले गया जहाँ उसकी तर्जनी और अंगूठे में 14 टाँके लगे। लेकिन घर पर सभी लोग मुझे कोसते रहे और हादसे के लिए मुझे जिम्‍मेदार ठहराते रहे। उस रात मुझे नींद नहीं आई और मैं बहुत रोया। अगले कुछ दिनों के लिए, इस दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना के लिए जिम्‍मेदार होने के लिए मैं इस दोष का बोझ उठाता रहा। मैं अपने आप को गहराई से दोषी महसूस कर रहा था जिसे मैं लंबे समय के बाद दूर करने में सक्षम था।

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