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सॉंई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Jul 23rd 2021, 12:53 by rajni shrivatri
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इजरायली सॉफ्टवेयर पेगेसस के जरिए दुनिया भर में की जा रही जासूसी की खबरें आने से भारत में उठा सियासी बवाल ऊफान पर है। यह बात और है कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए हजारों लोगों की जासूसी करने का आरोप झेल रही साइबर सुरक्षा फर्म एनओएस ने जासूसी वाली रिपोर्ट को ही खारिज कर दिया है। मानसून सत्र के दूसरे दिन भी विपक्ष ने लोकसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी। राज्यसभा में भी शोरगुल हुआ। भारत सरकार ने इस खुलासे को भारतीय लोकतंत्र की छवि धूमिल करने का प्रयास बताया है। इस बीच पेगेसस जैसे सॉफ्टवेयर के जरिए कथित रूप से जासूसी की इस रिपोर्ट से दुनिया भर में निजता और सुरक्षा पर खतरों को लेकर बहस और तेज हो गई है। चंकि पेगेसस स्पाइवेयर बनाने वाली इजरायल की इस कंपनी ने खूद स्वीकार किया है कि वह सिर्फ सरकारों को ही अपनी मिलिट्री ग्रेड स्पाइवेयर टेक्नोलॉजी बेचती है, इसलिए जासूसी का सीधा आरोप सरकारों पर ही लगना लाजिमी है। और यह सरकारों कि इन आरोपों में कोई सच्चाई है अथवा नहीं। फ्रांस सरकार ने तो जासूसी के इस प्रकरण की जांच के आदेशों भी दे दिए है। सवाल केवल भारत का ही नहीं, दुनिया के तमाम देशों में लोगों की निजता पर होने वाले हमलों का है। किसी भी व्यक्ति के फोन में घूसकर उसकी निजी जिंदगी में तांक-झांक के ऐसे प्रयास उस वक्त और डराने वाले हो जाते हे जब किसी भी तरह की जासूसी का इस्तेमाल सुरक्षा कारणों से इतर किया जाता हो। खास तौर पर सियासी प्रतिद्वंद्वियों और अन्य प्रभावशाली लोगों के खिलाफ ऐसा होता हो तो इसे वैश्विक खतरे के रूप में ही देखा जाना चाहिए। क्योंकि खबरें तो इस बात की भी है कि पेगेसस जैसे कुछ दूसरे साॅफ्टवेयर भी दुनिया भर में सरकारों और सत्ता दलों को बेचे जा रहे है। एनएसओं के दावे के विपरीत इस तरह का साॅफ्टवेयर यदि निजी स्तर पर सरकारों की जानकारी के बिना इस्तेमाल हो रहा हो तो और भी खतरनाक है। फोन टेपिंग से भी ज्यादा संवेदनशील फोन हैकिंग के ऐसे मामले सचमुच जांच का विषय है। जो खुलासा किया गया है उसमें ऐसे मामले सचमुच जांच का विषय है। जो खुलासा किया गया है उसमें अभी सूची ही समाने है। कितनों की निजी जानकारी जुटाई गई, यह अभी साफ नहीं है।
हमें यह भी याद रखना चाहिए कि इंटरनेट अब लोगों की जीवनचर्या का हिस्सा बन चुका है। लेकिन साइबर स्पेस की व्यापकता कई नए खतरे भी सामने लेकर आती है। देखा जाए तो साइबर सुरक्षा का मसला दुनिया के प्रत्येक देश के लिए चुनौती बन कर सामने आया है। ऐसे में साइबर स्पेस के जरिए निजता का हनन कहीं भी होता है तो चिंता का विषय है।
हमें यह भी याद रखना चाहिए कि इंटरनेट अब लोगों की जीवनचर्या का हिस्सा बन चुका है। लेकिन साइबर स्पेस की व्यापकता कई नए खतरे भी सामने लेकर आती है। देखा जाए तो साइबर सुरक्षा का मसला दुनिया के प्रत्येक देश के लिए चुनौती बन कर सामने आया है। ऐसे में साइबर स्पेस के जरिए निजता का हनन कहीं भी होता है तो चिंता का विषय है।
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