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junior assistant typing
created Jun 5th 2021, 07:09 by shirish shukla
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भारत के संविधान के निर्माण का विचार सबसे पहले सर एम.एन. राय के मस्तिष्क में आया। सन् 1934 में उन्होने सर्वप्रथम भारत के संविधान की बात कही। इस विचार को 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सही माना तथा 1938 में जवाहर लाल नेहरू ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष इस विचार को प्रस्तुत किया। जिस पर सन् 1940 में ब्रिटिश सरकार ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें ब्रिटिश सरकार ने भारत के अपने संविधान की मांग को स्वीकार किया। यह प्रस्ताव ही “अगस्त प्रस्ताव” के नाम से जाना जाता है।
अगस्त प्रस्ताव के बाद सन् 1942 में सर स्टेनफोर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में एक प्रस्ताव आया जिसे “क्रिप्स प्रस्ताव” के नाम से जाना जाता है। क्रिप्स प्रस्ताव में ये कहा गया कि द्वीतीय विश्व युद्ध के बाद भारत के संविधान को अपना लिया जाएगा। तथा क्रिप्स प्रस्ताव में संविधान निर्माण हेतु एक संविधान सभा के गठन का प्रस्ताव भी रखा गया।
इस प्रस्ताव का मुस्लिम लीग ने जमकर विरोध किया क्योंकि मुस्लिम लीग चाहता था कि भारत को दो भागों भारत तथा पाकिस्तान में बाँटा जाए और दोनों स्वतंत्र देशों के लिए अलग-अलग संविधान सभा हो।
क्रिप्स मिशन(1942) के बाद सन् 1946 में कैबीनेट मिशन भारत आया। कैबीनेट मिशन ने दो संविधान सभाओं की मांग को ठुकरा दिया। परंतु उसने कुछ ऐसे बदलाव किए जिससे काफी हद तक मुस्लिम लीग के सदस्य संतुष्ट थे।
इस प्रकार संविधान सभा के गठन की बात तय हुयी। अब संविधान सभा के सदस्यों की संख्या के लिए यह प्रावधान किए गये की। संविधान सभा में कुल 389 सदस्य होंगे। जिसमें 296 सदस्य ब्रिटिश अधीन भारत ने चुने जाने थे। तथा 93 सदस्य भारतीय रियासतों से चुने जाने थे। ब्रिटिश प्रांतो से सदस्यों के चुनाव हेतु सिख्ख, मुस्लिम तथा सामान्य(सिख्ख और मुस्लिम को छोड़कर) की जनसंख्या के आधार पर संविधान सभा में सीटों का बँटवारा होना था। प्रत्येक दस लाख जनसंख्या पर एक सीट। इस प्रकार संविधान सभा का गठन हुआ। कुल 296 सीटों में 208 सीटें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को मिली, 73 सीटे मुस्लिम लीग को मिली तथा 15 सीटे अन्य सदस्यों को मिली। इस प्रकार हम यह कह सकते है कि संविधान सभा आंशिक रूप से चुनी हुयी तथा आंशिक रूप से मनोनीत थी।
अगस्त प्रस्ताव के बाद सन् 1942 में सर स्टेनफोर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में एक प्रस्ताव आया जिसे “क्रिप्स प्रस्ताव” के नाम से जाना जाता है। क्रिप्स प्रस्ताव में ये कहा गया कि द्वीतीय विश्व युद्ध के बाद भारत के संविधान को अपना लिया जाएगा। तथा क्रिप्स प्रस्ताव में संविधान निर्माण हेतु एक संविधान सभा के गठन का प्रस्ताव भी रखा गया।
इस प्रस्ताव का मुस्लिम लीग ने जमकर विरोध किया क्योंकि मुस्लिम लीग चाहता था कि भारत को दो भागों भारत तथा पाकिस्तान में बाँटा जाए और दोनों स्वतंत्र देशों के लिए अलग-अलग संविधान सभा हो।
क्रिप्स मिशन(1942) के बाद सन् 1946 में कैबीनेट मिशन भारत आया। कैबीनेट मिशन ने दो संविधान सभाओं की मांग को ठुकरा दिया। परंतु उसने कुछ ऐसे बदलाव किए जिससे काफी हद तक मुस्लिम लीग के सदस्य संतुष्ट थे।
इस प्रकार संविधान सभा के गठन की बात तय हुयी। अब संविधान सभा के सदस्यों की संख्या के लिए यह प्रावधान किए गये की। संविधान सभा में कुल 389 सदस्य होंगे। जिसमें 296 सदस्य ब्रिटिश अधीन भारत ने चुने जाने थे। तथा 93 सदस्य भारतीय रियासतों से चुने जाने थे। ब्रिटिश प्रांतो से सदस्यों के चुनाव हेतु सिख्ख, मुस्लिम तथा सामान्य(सिख्ख और मुस्लिम को छोड़कर) की जनसंख्या के आधार पर संविधान सभा में सीटों का बँटवारा होना था। प्रत्येक दस लाख जनसंख्या पर एक सीट। इस प्रकार संविधान सभा का गठन हुआ। कुल 296 सीटों में 208 सीटें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को मिली, 73 सीटे मुस्लिम लीग को मिली तथा 15 सीटे अन्य सदस्यों को मिली। इस प्रकार हम यह कह सकते है कि संविधान सभा आंशिक रूप से चुनी हुयी तथा आंशिक रूप से मनोनीत थी।
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