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SOURABH SAHU HATTA DAMOH 7987432529 MP HIGH COURT

created May 4th 2021, 09:40 by sourabh Sahu


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अपीलार्थी-अभियुक्‍त प्रेम बहादुर और दिलीप पुनमागर (जिन्‍हें इसमें इसके पश्‍चात ''अभियुक्‍त व्‍यक्ति'') कहा गया है) ने 2013 के सेशन  विचारण संख्‍या 22-टी/7, हिमाचल प्रदेश राज्‍य बनाम प्रेम बहादुर और एक अन्‍य मामले में विद्वान अपर सेशन न्‍यायाधीश (सी. बी. आइ.) शिमला, थेयोग, कैम्‍प द्वारा तारीख 21 जनवरी, 2017 को पारित किए गए निर्णय के विरूद्ध यह अपील फाइल की गई है, जिसके द्वारा दोनों अभियुक्‍त व्‍यक्तियों को दंड संहिता की धारा 302 के साथ पठित धारा 34 के अधीन दंडनीय अपराध से दोषसिद्ध किया गया था और आजीवन कठोर कारावास भोगने के साथ अलग-अलग 50,000/- रूपए के जुर्माने का संदाय करने तथा जुर्माने का संदाय करने में व्‍यतिक्रम करने पर दोनों अभियुक्‍त व्‍यक्तियों को आजीवन कारावास के अतिरिक्‍त एक वर्ष का साधारण कारावास भोगने का दंडादेश दिया गया। अभियोजन मामला संक्षेप में इस प्रकार है- तारीख 27 फरवरी, 2013 को श्री पारस राम ने हरेक बहादुर के साथ (दोनों नेपाली हैं) ने लगभग 5:00 बजे अपराह्रन पर स्थित कुंदन सिंह (अभिसाक्ष्‍य 5) की दुकान से रोजमर्रा की जरूरत की वस्‍तुएं खरीदी थीं। वस्‍तुओं को खरीदने के पश्‍चात वे दोनों चंदेर नगर की ओर गए अपीलार्थी-अभियुक्‍त व्‍यक्ति प्रेम बहादुर और दिलीप पुनमागर और केसर बहादुर (किसार) कुंदन सिंह (अभिसाक्ष्‍य 5) की दुकान पर आए। उन्‍होंने कुछ रोजमर्रा की आवश्‍यक वस्‍तुओं को खरीदा और चंदेर नगर की ओर चले गए। तारीख 28 फरवरी, 2013 को 8:45 बजे पूर्वाह्रन के आस-पास मृतक पारस राम का शव चंदेर नगर के नजदीक ग्राम भोज नगर के सड़क पर पड़ा हुआ बरामद किया गया था। शिकायतकर्ता के कथन पर श्री जवाहर लाल अभिसाक्ष्‍य संख्‍या 1 का कथन दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के अधीन अभिलिखित किया गया था( जिसकेे अधीन मृतक पारस राम काम करता था) तारीख 28 फरवरी, 2013 को दंड संहिता की धारा 302 और 323 के साथ पठित धारा 34 के अधीन प्रथम इत्तिला रिपोर्ट संख्‍या 10/2323 पुलिस थाना कोटखाई, जिला शिमला, हिमाचल प्रदेश में दर्ज की गई थी।  

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