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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
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युद्धों के इतिहास में भारत में हुए प्लासी युद्ध का काफी महत्व है। इस युद्ध में इस बात का निर्णय हो गया कि अंग्रेज भारत में अपनी मनमर्जी का हुक्म रख सकते हैं। ऐसे व्यक्ति को सत्ता पर चाहते हैं जो उनके व्यापारिक धन कमाने में पूरा-पूरा योगदान कर सकता है। प्लासी युद्ध बंगाल के प्लासी नामक स्थान पर बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और अंग्रेज सेना के बीच हुआ। इस युद्ध में भारत का एक वह चेहरा भी सामने आया जिसे मीर जाफर के नाम से जाना जाता है, और जिसे भारतीय इतिहास में जयचन्द्र के समकक्ष खड़ा किया गया। ये दोनों नाम गद्दारों के रूप में भारतीय मानस में समाए हुए हैं। जब भी किसी देशद्रोही को उभाना देनी होती है तो उसे जयचन्द्र और मीर जफर कहकर लिखा और वर्णित किया जाता है।
जयचन्द्र का नाम राष्ट्रदोही के रूप में तब सामने आया जबकि उसने मुहम्मद गौरी के पास जाकर उसे दिल्ली अधिपति पृथ्वीराज चौहान के विरुद्ध उकसाना और युद्ध के समय उसका साथ देने का वचन दिया। जयचन्द्र का आमंत्रण पाकर ही मुहम्मद गौरी का साहस बढ़ा कि वह पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण कर सके। पृथ्वीराज की हार के साथ ही भारत से हिन्दू राज्य का सूर्य अस्ताचल में चला गया था तथा मुस्लिम राज्य का सूर्य उग आया था। मुहम्मद गौरी द्वारा पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद ही भारत में मुस्लिम सल्तनत स्थापित हो सकी। मुस्लिम सल्तनत का स्थान बाबर की विजय के साथ मुगल साम्राज्य ने घेरा।
मीर जफर ने मुगल साम्राज्य में छेदकर अंग्रेजों को उत्साहित और गद्दारी कर भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को स्थापित होने में सहायता की, इन ऐतिहासिक विवरणों को यहां इसलिए प्रस्तुत किया गया, ताकि प्लासी युद्ध का महत्व सामने आ सके। अंग्रेजों ने बंगाल में सर्वप्रथम अपनी कोठी 1651 ई. में हुगली में तत्कालीन बंगाल के सूबेदार, शाहजहां के द्वितीय पुत्र शाहशुजा की अनुमति से बनायी थी।
जयचन्द्र का नाम राष्ट्रदोही के रूप में तब सामने आया जबकि उसने मुहम्मद गौरी के पास जाकर उसे दिल्ली अधिपति पृथ्वीराज चौहान के विरुद्ध उकसाना और युद्ध के समय उसका साथ देने का वचन दिया। जयचन्द्र का आमंत्रण पाकर ही मुहम्मद गौरी का साहस बढ़ा कि वह पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण कर सके। पृथ्वीराज की हार के साथ ही भारत से हिन्दू राज्य का सूर्य अस्ताचल में चला गया था तथा मुस्लिम राज्य का सूर्य उग आया था। मुहम्मद गौरी द्वारा पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद ही भारत में मुस्लिम सल्तनत स्थापित हो सकी। मुस्लिम सल्तनत का स्थान बाबर की विजय के साथ मुगल साम्राज्य ने घेरा।
मीर जफर ने मुगल साम्राज्य में छेदकर अंग्रेजों को उत्साहित और गद्दारी कर भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को स्थापित होने में सहायता की, इन ऐतिहासिक विवरणों को यहां इसलिए प्रस्तुत किया गया, ताकि प्लासी युद्ध का महत्व सामने आ सके। अंग्रेजों ने बंगाल में सर्वप्रथम अपनी कोठी 1651 ई. में हुगली में तत्कालीन बंगाल के सूबेदार, शाहजहां के द्वितीय पुत्र शाहशुजा की अनुमति से बनायी थी।
