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सॉंई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Jan 8th 2021, 10:58 by Jyotishrivatri
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जीवन में ध्यान का आत्यधिक महत्व है। मनुष्य की सामान्य जीवनचर्या ध्यान के जरिए नवदृष्टि प्राप्त करती है। इस दृष्टि में जीवन के पूर्वाग्रहों का जो वैयक्तिक विश्लेषण होता है, वह सोचने-समझने के लिए व्यक्ति को बौद्धिक स्वतंत्रता प्रदान करता है। ध्यान व्यक्ति को जीवनभर मंगलाचरण करने का संबल देता है, जिससे विकारों का शमन होता है। ध्यान की गंभीरता व गंभीर स्थिरता व्यक्ति के चारों और सकारात्मक स्थितियों का निर्माण करती है। इससे काम, क्रोध, लोभ और मोह के बंधनों से मुक्ति मिलती है। ध्यानस्थ रहकर नकारात्मक मनोभावों पर नियंत्रण का अभ्यास होता है। व्यक्तित्व के विचलन पर इस विधि से विजय प्राप्त करना बड़ा सार्थक है। इस प्रक्रिया में समाज, शासन, व्यापार और रिश्ते-नातों की सहायता की आवश्यकता नही पड़ती। यह स्वयं के लिए स्वयंभूत होने का मूल्यवान मार्ग है। भौतिक कार्यो में विफल होने पर भी अवचेतन मन में नित नई सफलता की कामना करना और विफलताओं पर बाह्य जगत की नकारात्मक प्रतिक्रियाओं से विमुख रहना ध्यानाभ्यास से ही संभव है। हम ध्यान से सधे अपने व्यक्तित्व को अनेक जनकल्याणकारी कार्यो में लगा सकते है। जैसे चिकित्सक ध्यान के अभ्यास से प्राप्त व्यक्तिगत गुणों का प्रयोग रोगी को स्वस्थ बनाने में कर सकता है। इसी तरह दुनिया में अलग-अलग उद्यम करने वाले लोग ध्यान से अर्जित अपनी व्यक्तिगत उपयोगिताओं का दिशाशोधन कर उन्हें जनोन्मुखी बना सकते है। ध्यान मन व अवचेतन मन की भ्रातियों और भ्रमों से छूटने का सरल मार्ग है। इसलिए ध्यान का आत्मिक विस्तार होना चाहिए। इसकी सहायता से विषयों के आकर्षण ध्वस्त होत है और विघ्नों, विकारों से मुक्त होने का अडिग संकल्प बनता है। मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या हो। इस प्रश्न के यथोचित उत्तर ध्यान के दैनिक अभ्यास से अवश्य मिल सकते है।
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