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-----औकात---------
created Jul 19th 2015, 09:37 by AMIT RAIZADA
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94 words
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				औरत पिटती हुई तड़प रही थी। उसे देखकर पड़ोसी को दया आ गई। उसने उस औरत के पति से कहा, ‘‘क्यों भई क्यों एक अबला पर जुल्म ढा रहे हो ! देखो बेचारी किस कदर जख्मी हो गई।’’ 
पति बोला, ‘‘श्रीमान् पहली बात तो अब यह अबला नहीं मुझसे ज्यादा कमाती है। इसमें इस बात की फूँक न भर जाए इसीलिए कभी-कभी दो चार हाथ जमाने पड़ जाते हैं ताकि, यह अपनी औकात में रहे। लेकिन आप यहाँ क्यों अपनी करुणा जाया कर रहे हैं जाइए महाशय उसे अपनी बहन-बेटियों के लिए बचा रखिए।
			
			
	        पति बोला, ‘‘श्रीमान् पहली बात तो अब यह अबला नहीं मुझसे ज्यादा कमाती है। इसमें इस बात की फूँक न भर जाए इसीलिए कभी-कभी दो चार हाथ जमाने पड़ जाते हैं ताकि, यह अपनी औकात में रहे। लेकिन आप यहाँ क्यों अपनी करुणा जाया कर रहे हैं जाइए महाशय उसे अपनी बहन-बेटियों के लिए बचा रखिए।
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