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सॉंई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Nov 21st 2020, 10:58 by lovelesh shrivatri
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				अध्यक्ष महोदय, मैं आपको एक बात बतलाना चाहता हूं। और वह यह है कि उसने उसको जो एक पैसा दिया वह बहुत बड़ी बात नहीं हो सकती है, और न बाद में बुरी बात होती, परन्तु अब वह एवं तुम न जाने कब आ पाओगे जिस तरह भी हो उनको साथ लेकर अति शीघ्र आना, नहीं तो इसका नतीजा क्या होगा। मैंने आपसे कहा था, और वैसा ही हुआ वह यहां जहां कहीं भी हो सका गया पर मार खाने के सिवा कुछ और नहीं पाया। इससे प्रतीत होता है कि ईश्वर स्वत: कुछ नहीं करता लेकिन वह तुम्हारे या हमारे द्वारा सारा काम कराता है, और यदि वह चाहे तो सब कुछ अच्छा हो सकता है, और छोटे-बड़े का अन्तर भी समाप्त हो सकता है। वह न जाने कहा गया था वहां से भाति-भाति और तौर-तौर के खिलौने इत्यादि अत्यन्त सस्ते दाम पर लाय। अब क्या आशा की जाये कि सब खुश होंगे। सामने जो लाला साहब लम्बी छड़ी लिए हुए खड़े हैं उनके द्वारा कई ऐसे काम हुए थे जिनको आज छोटे-बड़े सब मानते हैं, अत: पहले उनकी बात और बाद में उनके साथी की बात मानी जाती है। सुबह उठकर सबक याद करना चाहिये यह जीवन के  लिए जरूरी है। विद्या से सम्बन्ध रखने वाले समाज को इस ओर सब लोगों का ध्यान खींचना चाहिये। दान में रूपया गाय आदि सब कुछ देना चाहिये इसके सबब से सम्पूर्ण दाम तथा धन मिलता। दान में में रूपया गाय आदि सब कुछ देना चाहिये इसके सबब से सम्पूर्ण दाम तथा धन मिलता है। रात दिन औरत-मर्द को जब कभी समय मिले थोड़ा-बहुत जो कुछ हो सके ऐसा काम  करें जिससे मालूम हो कि कुछ अच्छा हो रहा है।  
मैं कहता जो तुम्हें कहना चाहिये कि किताब उठाकर देखो वास्तव में पास हो सकते हो, ताकत कभी नहीं समाप्त होती है केवल वक्त बदल जाता है। अथवा एकदम से परिवर्तन आ जाता है इन चीजों को ज्यादा इकट्ठा नहीं करना चाहिये। यदि आवश्यक हो तो उनकी शिकायत करो हो सके तो नेता से नाता जोड़ों और सत्य की बातें सीखों, नहीं तो उस दिन तक नीचे गिरना कोई नया कार्य नही है। आवश्यकता हो तो राम की नाई काम क्यों नहीं करते। इन तमाम बातों में ताज्जुब करने की कोई बात नहीं है, तुरन्तु तनिक या दो गुना, तीन गुना, चार गुना जितना का जितना ज्यों का त्यों क्यों नहीं लौटाते या फिर आप कितना लौटाना चाहते है? प्राय: लोग प्रत्येक कार्य को प्रतिकूल परिस्थितियों में साहसपूर्वक न करके छोड़ देते है तथा एक तरफ होकर अच्छी तरह तरकीब क्यों नहीं निकाल लेते ऐसा करना करीब-करीब किनारे तक न पहुंचने का कारण नहीं हो सकता है।
			
			
	        मैं कहता जो तुम्हें कहना चाहिये कि किताब उठाकर देखो वास्तव में पास हो सकते हो, ताकत कभी नहीं समाप्त होती है केवल वक्त बदल जाता है। अथवा एकदम से परिवर्तन आ जाता है इन चीजों को ज्यादा इकट्ठा नहीं करना चाहिये। यदि आवश्यक हो तो उनकी शिकायत करो हो सके तो नेता से नाता जोड़ों और सत्य की बातें सीखों, नहीं तो उस दिन तक नीचे गिरना कोई नया कार्य नही है। आवश्यकता हो तो राम की नाई काम क्यों नहीं करते। इन तमाम बातों में ताज्जुब करने की कोई बात नहीं है, तुरन्तु तनिक या दो गुना, तीन गुना, चार गुना जितना का जितना ज्यों का त्यों क्यों नहीं लौटाते या फिर आप कितना लौटाना चाहते है? प्राय: लोग प्रत्येक कार्य को प्रतिकूल परिस्थितियों में साहसपूर्वक न करके छोड़ देते है तथा एक तरफ होकर अच्छी तरह तरकीब क्यों नहीं निकाल लेते ऐसा करना करीब-करीब किनारे तक न पहुंचने का कारण नहीं हो सकता है।
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