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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Oct 21st 2020, 12:40 by GuruKhare
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कोविड-19 के दुष्प्रभावों से प्रभावित होने वालों में समाज में अकेली रह गई बुजुर्ग महिलाओं को एक वर्ग ऐसा है, जो अत्यधिक पीड़ित है। यह वर्ग महामारी के कारण पड़ने वाले सामाजिक-आर्थिक सदमे का भी शिकार हो रहा है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में इसके प्रभाव तीव्रता से महसूस किए जा रहे हैं। इस क्षेत्र में ऐसी महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है।
इस क्षेत्र में परिवारों की पारंपरिक व्यवस्था के टूटने के साथ ही अधिकांश परिवार एकल होते जा रहे हैं। इन सबके बीच बुजुर्ग अनेक चुनौतियों का सामना करने को मजबूर है। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा होने से वे निर्धनता से ग्रसित हैं। उन्हें सामाजिक-आर्थिक स्तर पर कोई खास सहयोग नहीं मिल पाता है। महामारी ने इनकी स्थिति को और भी खराब कर दिया है।
इस महामारी के दौर ने, हमारी वृद्ध होती जनता के लिए सरकार और जन-समाज के समक्ष चुनौती खड़ी कर दी है, और इससे निपटने के लिए रणनीतिक समाधान किए जाने चाहिए। समस्या के सफल निदान के रूप में हमें महिलाओं और किशोरियों पर विशेष ध्यान देते हुए स्वास्थवर्धक मार्ग अपनाना होगा। लैंगिक समानता और मानवाधिकारों के माध्यम से महिलाओं के बुढापे को सुगम बनाया जा सकता है।
हम सबको सामूहिक रूप से अधिक एक्शन वित्त पोषण और कार्यान्वयन को प्राथमिकता देनी होगी। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष में हमारा अधिकार पत्र, वृद्ध व्यक्तियों की आत्म निर्भरता को समक्ष और मजबूत करने की आवश्यकता से जुड़ा हुआ है। इसमें आई सी पी डी कार्यक्रम हमारी नींव और मार्गदर्शक सिद्धांत है। धारणीय विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में यह पूरा दशक एक प्रकार से स्वस्थ वृद्धावस्था पर ही केंद्रित है। कोविड-19 के इस दौर में, दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ विनाशकारी प्रभावों से निपटते हुए बेहतर कल की आरे कदम बढ़ाना ही हमारा परम कर्तव्य है, जिसमें वृद्धावस्था की ओर बढ़ती जनसंख्या की चुनौती को एक अवसर के रूप में बदले जाने की आवश्यकता है।
इस क्षेत्र में परिवारों की पारंपरिक व्यवस्था के टूटने के साथ ही अधिकांश परिवार एकल होते जा रहे हैं। इन सबके बीच बुजुर्ग अनेक चुनौतियों का सामना करने को मजबूर है। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा होने से वे निर्धनता से ग्रसित हैं। उन्हें सामाजिक-आर्थिक स्तर पर कोई खास सहयोग नहीं मिल पाता है। महामारी ने इनकी स्थिति को और भी खराब कर दिया है।
इस महामारी के दौर ने, हमारी वृद्ध होती जनता के लिए सरकार और जन-समाज के समक्ष चुनौती खड़ी कर दी है, और इससे निपटने के लिए रणनीतिक समाधान किए जाने चाहिए। समस्या के सफल निदान के रूप में हमें महिलाओं और किशोरियों पर विशेष ध्यान देते हुए स्वास्थवर्धक मार्ग अपनाना होगा। लैंगिक समानता और मानवाधिकारों के माध्यम से महिलाओं के बुढापे को सुगम बनाया जा सकता है।
हम सबको सामूहिक रूप से अधिक एक्शन वित्त पोषण और कार्यान्वयन को प्राथमिकता देनी होगी। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष में हमारा अधिकार पत्र, वृद्ध व्यक्तियों की आत्म निर्भरता को समक्ष और मजबूत करने की आवश्यकता से जुड़ा हुआ है। इसमें आई सी पी डी कार्यक्रम हमारी नींव और मार्गदर्शक सिद्धांत है। धारणीय विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में यह पूरा दशक एक प्रकार से स्वस्थ वृद्धावस्था पर ही केंद्रित है। कोविड-19 के इस दौर में, दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ विनाशकारी प्रभावों से निपटते हुए बेहतर कल की आरे कदम बढ़ाना ही हमारा परम कर्तव्य है, जिसमें वृद्धावस्था की ओर बढ़ती जनसंख्या की चुनौती को एक अवसर के रूप में बदले जाने की आवश्यकता है।
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