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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Oct 19th 2020, 12:06 by ddayal2004


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कुछ विद्वानों का मत है कि शिक्षा का उद्देश्‍य संस्‍कृति का विकास एवं उन्‍नति होना चाहिये। लेकिन वस्‍तुस्थिति यह है कि प्रत्‍येक देश तथा काल में संस्‍कृति शब्‍द का निहितार्थ बदलता रहा है। कुछ देशों में केवल किसी विशेष भाषा के पठन एवं भाषण में निपुणता को ही संस्‍कृति माना गया है तो कुछ ने केवल ज्ञान प्राप्‍त करने को ही संस्‍कृति समझा है। इसी प्रकार प्राचीन भारत में संस्‍कृत का ज्ञान प्राप्‍त करना तथा मध्‍य भारत में उर्दू और फारसी शब्‍दों का प्रयोग करना एक सुसंस्‍कृत व्‍यक्ति के विशेष लक्षण होते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि यदि किसी अमुक देश तथा काल में किसी अमुक बात को गुण समझा जाता है तो उसी बात को दूसरे देश में उसी अथवा विशिष्‍ट काल में भी घृणित दृष्टि से देखा जाता है। कुछ भी हो, संकुचित अर्थ में संस्‍कृति का तात्‍पर्य अवशेष आदतें, जीवनशैली तथा वार्तालाप के तरीके एवं व्‍यवहार पद्धति से होता है। इन सब बातों की शिक्षा प्राप्‍त करके ही व्‍यक्ति का आदर होता है। इसलिए शिशु सदन खोले जाते हैं। इसके विपरीत व्‍यपक अर्थ में संस्‍कृति का अभिप्राय सर्वोच्‍च विचारों की जानकारी प्राप्‍त करके उन्‍हें दैनिक जीवन में प्रयोग करना होताा है। विद्वानों का मत है कि संस्‍कृति बालक की पाशविक प्रवृत्तियों का शुद्धीकरण करके उसकी आत्‍मा को निखरती है। इससे उसका चरित्र महान तथा प्रशंसनीय बन जाता है। इस प्रकार संस्‍कृति का अर्थ उस संपूर्ण सामाजिक संपत्ति से है जो एक पीढी से दूसरी पीढी को हस्‍तांतरित होती रहती है। व्‍यक्तिगत, जातीय संस्‍कृति, राष्‍ट्रीय संस्‍कृति तथा विश्‍व संस्‍कृति, संस्‍कृति के विभिन्‍न रूप होते हैं। मोटे तौर पर संस्‍कृति का कोई भी रूप हो अथवा वह किसी भी व्‍यक्ति, देश तथा काल की हो। उसे उसी समय अच्‍छा माना जा सकता है। जब उसमें उपयोगिता और प्रगतिशीलता के गुण पाये जाते हों। यानी यदि संस्‍कृति से व्‍यक्ति को लाभ तथा समाज कल्‍याण होता है तो वह अच्‍छी होती है अन्‍यथा नहीं। जैसे यदि उपयोगिता और समाज कल्‍याण को अच्‍छी संस्‍कृति की कसौटी मान लिया जाये तो सिगरेट, शराब, जुआ तथा एवं पतंगबाजी की जगह शास्‍त्रीय संगीत, कला एवं काव्‍य आदि व्‍यक्ति समाज दोनों के लिए उपयोगी है। प्रगतिशील संस्‍कृति का दूसरा विशेष गुण यह भी है कि वह स्‍थायी नहीं अपितू प्रगतिशील होती है। दूसरे शब्‍दों में, संस्‍कृति सदैव बदलती तथा विकसित होती है। आधुनिक यातायात के साधनों तथा वैज्ञानिक आविष्‍कारों इत्‍यादि के द्वारा एक संस्‍कृति दूसरी संस्‍कृति से प्रभावित होती और विकसित भी होती है।

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