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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤संचालक बुद्ध अकादमी✤|•༻

created Sep 15th 2020, 09:34 by my home


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बहुत समय पहले की बात है किसी गांव में एक बाबू लाल नाम का कलाकार रहता था। वह बहुत ईमानदार था किंतु बहुत गरीब होने के कारण वह घर-घर जाकर कलाकारी का काम किया करता था। उसकी आमदनी बहुत कम थी। बहुत मुश्किल से उसका घर चलता था। पूरा दिन मेहनत करने के बाद भी वह सिर्फ दो वक्‍त की रोटी ही जुटा पता था। वह हमेशा चाहता था की उसे कोई बड़ा काम मिले जिससे उसकी आमदनी अच्‍छी हो पर वह छोटे मोटे काम भी बड़ी लगन और ईमानदारी से करता था।
    एक दिन उसे गांव के जमीनदार ने बुलाया और कहा कि उसको, उसने बहुत जरूरी काम के लिये बुलाया है, क्‍या वह उसका काम करेगा बाबू लाल ने हां में सिर हिलाते हुये जमींदार से कहा कि बताइये जमींदार साहब क्‍या काम करना है। जमींदार ने बाबू लाल को अपनी नाव को रंगने के लिए कहा और ये भी कहा कि यह आज ही हो जाना चाहिए। बाबू लाल को पता था कि वह यह काम एक दिन में कर सकता है, इसलिए उसने इस काम को करने के लिए हां कह दी।
    यह काम पाकर बाबू लाल बहुत ही खुश था। इसके बाद जमींदार और बाबू लाल ने नाव को रंगने की कीमत तय कर दी जो कि पंद्रह सौ रुपये थी। फिर जमींदार उसे अपनी नांव दिखाने नदी किनारे ले जाता है। बाबू लाल, जमींदार से थोड़ा समय मांगता है और अपना रंग का सामान लेने चला जाता है। सामान लेकर जैसे ही बाबू लाल आता है तो वह बिना देरी किये नांव को रंगना शुरू कर देता है। जब बाबू लाल नांव रंग रहा था तो उसने देखा कि नाव में छेद है। नाव के छेद को ठीक करने का काम उसका नहीं था। लेकिन उसको पता था कि यदि उसने यह छेद ठीक नहीं किया तो जमींदार या उसके परिवार के साथ कुछ अनहोनी हो सकती है।
    इसलिए बाबू लाल पहले तो छेद को ठीक करता है और उसके बाद नाव को रंगना शुरू करता है। नाव को रंगने के बाद बाबू लाल, जमींदार को यह बताने चला जात है कि काम पूरा हो गया है। जमींदार नाव को देखकर बहुत खुश होता है और बाबू लाल को कहा कि वह अगली सुबह आकर अपना मेहनताना ले जाये। लेकिन अब तक जमींदार को यह नहीं पता था कि बाबू लाल ने नाव का छेद भी ठीक किया था। और ही बाबू लाल ने उससे इस बारे में कोई जिक्र किया।
    इसके बाद जमींदार के परिवार वाले उसी नाव में सवार हो कर घूमने चले जाते हैं। शाम को जमींदार का नौकर रामू, जो उसकी नांव की देख-रेख भी करता था, छुट्टी से वापिस आता है। परिवार को घर पर ना देखकर वह जमींदार से परिवार वालों के बारे में पूछता है। जमींदार उसे सारी बात बताता है। जमींदार की बात सुनकर रामू चिंता में पड़ जाताा है। यह देख कर जमींदार उससे चिंतित होने का कारण पूछता है। जमींदार के पूछने पर रामू उसे बताता है कि नांव में छेद था।  

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