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अभ्यास-35 (सौरभ कुमार इन्दुरख्या)
created Aug 2nd 2020, 06:49 by sourabh indurkhya
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भारत को स्वतंत्र हुए 20 वर्ष और संविधान में हिन्दी को राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित हुए 15 वर्ष हो रहे हैं । किन्तु अखिल भारतीय स्तर पर राजभाषा को शिक्षा की व्यवस्था तक सरकार नहीं कर पायी है । संविधान की राजभाषा विषयक उपबन्ध समस्त भारतीय जनता के अधिकृत प्रतिनिधियों के सहचिन्तन और सहमति का सत्परिणाम है । संविधान सभा ने इसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया था । राजभाषा अधिनियम 1963 को पारित कराकर भारत सरकार ने अंग्रेजी की सहभाषा के रूप में कायम रखने का जो कदम उठाया था, वह देश के हित में नहीं था, किन्तु भारत की एकता को बनाये रखने के लिये और अहिन्दी भाषी प्रदेशों को हिन्दी में तैयार होने के लिये देश ने कुछ समय देना स्वीकार कर लिया । किन्तु 26 जनवरी 1965 को हिन्दी के राजभाषा घोषित किये जाने के प्रश्न पर जो उपद्रव उठे और सरकार ने जो रवैया अपनाया, वह किसी दृष्टि से उचित नहीं था । राष्ट्रीय आंदोलन के समय प्रत्येक देशभक्त अच्छी तरह यह समझता था कि अंग्रेजी की दासता अंग्रेजो की दासता का ही एक अंग है । उस समय भारत के सभी नेताओं ने भाषा की समस्या पर जनसाधारण की दृष्टि से विचार किया था , उन्हें स्पष्ट दिखाई देता था कि राष्ट्रीय एकता का अर्थ है भारत के करोड़ो साधारण जनों की एकता और यह एकता एक भाषा के द्वारा उत्पन्न और दृढ़ हों सकती है और वह भाषा हिन्दी ही हैं । किन्तु आज वे ही राष्ट्रीय नेता अहिन्दी-भाषी जनता की आड़ लेकर हिन्दी के लिए की गयीं सारी प्रतिज्ञाएं तोड़ने की बात सोंच रहे है ।
भारत सरकार गत 15 वर्षो से हिन्दी के विकास में लगे है किंन्तु अभी तक यह विकास नहीं हो पाया है ।
हिन्दी का महत्व तो सरकारी गैर सरकारी सभी क्षेत्रों के लोगो को ज्ञात है किन्तु राजनैतिक और वैयक्तिक स्वार्थो के कारण हिन्दी का विरोध किया जाता है । यह जानते हुए भी हिन्दी भारत के सबसे बड़े भू-भाग में सबसे बड़े वर्ग द्वारा बोली जानी वाली भाषा है, हिन्दी के विरोधी अनेक प्रकार के बहाने लेकर हिन्दी का विरोध करते है ।
भारत सरकार गत 15 वर्षो से हिन्दी के विकास में लगे है किंन्तु अभी तक यह विकास नहीं हो पाया है ।
हिन्दी का महत्व तो सरकारी गैर सरकारी सभी क्षेत्रों के लोगो को ज्ञात है किन्तु राजनैतिक और वैयक्तिक स्वार्थो के कारण हिन्दी का विरोध किया जाता है । यह जानते हुए भी हिन्दी भारत के सबसे बड़े भू-भाग में सबसे बड़े वर्ग द्वारा बोली जानी वाली भाषा है, हिन्दी के विरोधी अनेक प्रकार के बहाने लेकर हिन्दी का विरोध करते है ।
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