eng
competition

Text Practice Mode

अभ्‍यास-36 (सौरभ कुमार इन्‍दुरख्‍या)

created Aug 2nd 2020, 06:24 by sourabh indurkhya


0


Rating

306 words
0 completed
00:00
    आये दिन ऐसे बच्‍चों के उदाहरण हमारे सामने आते रहते है जो गलत रास्‍ते पर चलने लगते है और छोटे-छोटे करते हुए मोटे अपराध करने लगते हैं झूठ बाेलने से बच्‍चा अपराध करना शुरू करता है पहले वह झूठ बोलता है फिर वह घर में रखी चींजो को चुराना या छिपाना सीखता है, तत्‍पश्‍चात् घर से बाहर निकलकर छोटी-मोटीचोरियाँ या मार-पीठ, लड़ाई-झगड़ा शुरू कर देता है और बड़े होने पर चोर, उचक्‍का और बदमाश बन जाता है  
    बच्‍चों में अपराध करने की प्र‍वृत्ति क्‍यों उत्‍पन्‍न होती है, अनेक व्‍यक्ति अपने-अपने भिन्‍न मत प्रकट करते है कोई कहता है कि निर्धनता के कारण बालक की आवश्‍यकताओं की पूर्ति हो पाने से वह अपराधी वृत्ति का हो जाता है, फिर किसी का कहना है कि माता-पिता के चरित्रिक दोषों के कारण बालक में अपराध भावना घर कर जाती है कुछ लोग संयुक्‍त परिवार के विघटन को भी बाल अपराधों का कारण मानते हैं से सभी बाते सच हो सकती है लेकिन इनमें कोई भी कारण स्‍वयं में पूर्ण या अन्तिम नहीं है, ऐसा भी देखने में आता है कि परिवार अर्थिक रूप से सम्‍पन्‍न हाेते है, संयुक्‍त परिवार की प्रथा होती है, माता-पिता का चरित्र भी ठीक होता है और बालक की आवश्‍यकताओं की पूर्ति भी उचित रूप से होती रहती है, उन परिवारों के बालक भी अपराधी हो जाते है इसका क्‍या कारण है  
    समाज के प्राय: सभी परिवारों में बालक इस दूषित प्रवृत्ति से ग्रस्‍त प्रवृत्ति से ग्रस्‍त रहते है कारण यह  
हैं कि समाज का समाज का ढ़ाँचा इस प्रकार का बना हुआ है, जिसमें  बालकों को उचित पालन-पोषाण की व्‍यवस्‍था नहीं हो पाती  
    बाल अपराध की समस्‍या सबसे अधिक जटिल रूप में मध्‍यम वर्ग के समक्ष आती है भारत की अधिकांश जनता आजकल मध्‍यम वर्ग का प्रतिनिधित्‍व करती है  

saving score / loading statistics ...