Text Practice Mode
साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jul 23rd 2020, 14:43 by sandhya shrivatri
4
237 words
29 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
बूढ़े दादा जी को उदास बैठे बच्चों ने पूछा क्या हुआ दादाजी आज आप इतने उदास बैठे क्या सोच रहें है।
कुछ नही बस यूही अपनी जिन्दगी के बारे में सोच रहा था।
दादा जी बोले
जरा हमें भी अपनी जीवन के बारे में बताइये न बच्चों ने जिद की।
दादाजी कुछ देर सोचते रहे फिर बोले जब मैं छोटा था मेरे ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं थी, मेरी कल्पनाओं की भी कोई सीमा नहीं थी मैं दुनिया बदलने के बारे में सोचा करता था।
जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ बुद्धि कुछ बढ़ी तो सोचने लगा ये दुनिया बदलना तो बहुत मुश्किल काम है इसलिए मैंने अपना लक्ष्य थोड़ा छोटा कर लिया सोचा दुनिया न सही मैं अपना देश तो बदल ही सकता हू।
पर जब कुछ और समय बीता मैं अधेड़ होने को आया तो लगा ये देश बदलना कोई मामूली बात नहीं है हर कोई ऐसा नहीं कर सकता है चलो मे बस अपने परिवार और करीबी लोगो को बदलता हूँ।
पर अफसोस वो भी नहीं कर पाया।
और अब जब मैं इस दुनिया में कुछ दिनों का ही मेहमान हू तो मुझे एहसास होता है कि बस अगर मैंने खुद को
बदलने को सोचा होता तो मैं ऐसा जरूर कर पाता और हो सकता है मुझे देखकर मेरा परिवार भी बदल जाता और क्या पता उनसे प्रेरणा लेकर ये देश भी कुछ बदल जाता और तब शायद मैं इस दुनिया को भी बदल पाता।
कुछ नही बस यूही अपनी जिन्दगी के बारे में सोच रहा था।
दादा जी बोले
जरा हमें भी अपनी जीवन के बारे में बताइये न बच्चों ने जिद की।
दादाजी कुछ देर सोचते रहे फिर बोले जब मैं छोटा था मेरे ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं थी, मेरी कल्पनाओं की भी कोई सीमा नहीं थी मैं दुनिया बदलने के बारे में सोचा करता था।
जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ बुद्धि कुछ बढ़ी तो सोचने लगा ये दुनिया बदलना तो बहुत मुश्किल काम है इसलिए मैंने अपना लक्ष्य थोड़ा छोटा कर लिया सोचा दुनिया न सही मैं अपना देश तो बदल ही सकता हू।
पर जब कुछ और समय बीता मैं अधेड़ होने को आया तो लगा ये देश बदलना कोई मामूली बात नहीं है हर कोई ऐसा नहीं कर सकता है चलो मे बस अपने परिवार और करीबी लोगो को बदलता हूँ।
पर अफसोस वो भी नहीं कर पाया।
और अब जब मैं इस दुनिया में कुछ दिनों का ही मेहमान हू तो मुझे एहसास होता है कि बस अगर मैंने खुद को
बदलने को सोचा होता तो मैं ऐसा जरूर कर पाता और हो सकता है मुझे देखकर मेरा परिवार भी बदल जाता और क्या पता उनसे प्रेरणा लेकर ये देश भी कुछ बदल जाता और तब शायद मैं इस दुनिया को भी बदल पाता।
