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LEARN TYPING WITH SOURABH SAHU AND SUCCESS YOUR GOALS,,DAMOH

created Jun 29th 2020, 08:53 by sourabh Sahu


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इक्‍कीसवीं सदी में हिंसा और आतंकवाद का अनेक स्‍वरूपों में उदय मानव समाज के लिये गंभीर खतरा बन चुका है। कुछ उन्‍मत्‍त बुद्धिजीवी लोग समाज में व्‍याप्‍त असमानता, शोषण और अत्‍याचार से पीडि़त समुदाय के हितैषी बनकर बलपूर्वक तथा गैरकानूनी तरीके से वर्तमान व्‍यवस्‍था को और बिगाड़ने तथा शासन को घुटने टेकने के लिये मजबूर करने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी प्रणाली शक्ति और हथियारों की सहायता से राज व्‍यवस्‍था को भंग करना रहा है। इससे शोषित समाज को तो कोई राहत नहीं मिल पा रही हैं वरन उनके कृत्‍य शांत प्रिय जनता के मन में आतंक और भय उत्‍पन्‍न करना चाहते हैं। आतंकवाद कुछ गिने लोगों द्वारा संगठित नियोजित तथा ह्रदयहीन व्‍यक्तियों द्वारा चलाये जाने वाला भयभीत हिंसात्‍मक कृत्‍य है, जिसके द्वारा शोषितों के नाम पर अपने उद्देश्‍यों की पूर्ति मांग मनवाने के लिये सरकार की व्‍यवस्‍था को छिन्‍न-भिन्‍न और अप्रभावी बनाने के प्रयास के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्र में समानांतर शासन स्‍थापित करने की कोशिश की जाती है। दुर्भाग्‍य से भारत की प्रजातांत्रिक व्‍यवस्‍था नौकरशाही, भ्रष्‍टाचार और स्‍वार्थी राजनीतिज्ञों की चालों से दो प्रकार के आतंकवाद से जूझ रहा है- पहला बाह्रा आतंकवाद भारत विरोधी विदेशी शक्तियों द्वारा भाड़े के आतंकियों के जरिये भारत के उत्‍तर पूर्वी और पश्चिम क्षेत्र की सीमा से चलाया जा रहा है। दूसरा आतंरिक आतंकवाद पृथक्‍कतावादी आंदोलनकारियों द्वारा दीन-दुखी, पीडि़त-दलित, मारे-सताये हुए पारंपरिक रूप से शोषित समाज के प्रति हमदर्दी दिखाते हुए उनके संवैधानिक और प्राकृतिक अधिकार दिलाने के लिए सशस्‍त्र संघर्ष देश के भीतर चलाया जा रहा है। इस आंतरिक आतंकवाद में नक्‍सलवाद एक भटका हुआ आंदोलन है जिससे पिछले 40 वर्षों में देश के पन्‍द्रह राज्‍यों के 178 जिलों में अपने पैर पसार लिये हैं। इनमें से आठ राज्‍यों के छत्‍तीस जिलों में यह समस्‍या इतनी गहरी पैठ जमा चुकी है। कि उनके अंदरूनी अंचलाे में देश की नहीं नक्‍सली सरकार का शासन स्‍थापित हो चुका है। इस स्थिति से चिन्तित प्रधानमंत्री ने कुछ माह पूर्व आठ नक्‍सल प्रभावित राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों की बैठक बुलानी पड़ी। इस बैठक में प्रधानमंत्री को स्‍वीकार किया कि यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि नक्‍सलवाद की समस्‍या देश के सामने आंतरिक सुरक्षा की सबसे बड़ी चुनौती बनती जा रही है। यथार्थ में नक्‍सली समस्‍या केवल विधि और व्‍यवस्‍था की समस्‍या नहीं है, अपितु यह सामाजिक विषमता, आर्थिक शोषण, भ्रष्‍ट राजनीति और लचर प्रशासनिक व्‍यवस्‍था का परिणाम है जिसका निदान बल से नहीं इन अव्‍यवस्‍था में आमूल परिवर्तन द्वारा ही किया जा सकता है। इसी परिप्रेक्ष्‍य में नक्‍सलवाद के उदय का कारण, गठन एवं कार्यशैली का अध्‍ययन करना उपयुक्‍त होगा।  

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