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नाम नन्दी रायकवार अस्टौट दतिया मध्य प्रदेश । कहानी का नाम है हीरों का रहस्य
created May 25th 2020, 18:22 by 9755336418
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				नीलम को लेकर जिन रास्तों से हम गुजरे, रोंगटे खड़े कर देने वाले खतरनाक हंगामे होने लगे। ऐसा क्या चक्कर था उस लड़की के साथ ... । 
यह वाकई मेरी जिंदगी का एक अजीबोगरीब और नाकाबिले-यकीन वाकया था। इतने साल गुजरने के बावजूद जब याद आता है, तो हैरान रह जाता हूं। मैं इतना बहादुर तो नहीं था, फिर भी न जाने कैसे मुझसे यह सब हो गया मुझे अब भी वह दिन याद हैं जब मैं जकरिया स्ट्रीट पर यूं ही धूम रहा था कि अचानक मेरी निगाह उन फकीरों की तरफ उठ गयी हो जकरिया मस्जिद के आस पास टोलियों में बैठे आने जाने वाले से जबरदस्ती भीख हांसिल करने की कोशिश कर रहे थें वहीं पर मैंने एक रोबदा अधेड़ औरत को भी देखा जो सफेद साड़ी पहने हूये थी वह खातून मस्जिद के आस-पास मौजूद फकीरों को खैरात बांट रही थी।
वह देखने से ही अमीर घराने की मालूम पड़ती थी उसके आसपास भीड़ सी लग गयी उसमें बच्चे, औरतें, बूढ़े, मर्द और जवान भी थे। उस अमीर औरत ने उन पर उचटती सी निगाह डाल कर शांत स्वर में कोई बात कही और अपने खूबसूरत हाथ से इशारा किया ।
साहसा उस भीड़ को चीरते हूये दो आदमी उसके सामने जा पहूचे वे छटे हूये बदमाश लग रहे थे अकस्मात मेरी नजरों के सामने दो चाकू लहराने लगे जिनका निशाना उस औरत की तरफ था । मैंने एक नजर में महसूस किया कि दोनों बदमाशों का मकसद पर्स छिन कर परार होना नहीं था
उस औरत का चहरा फक होकर सफेद पड़ गया था वह घबराकर दो कदम पीछे हटी और उसने अपने आस-पास मदद के लिये देखा, लेकिन चमकते हूये चाकू देखकर किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि आगे बढ़कर उसे बचाये ।
कलकत्ता के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी मैं वहां का रहने वाला भी नहीं था। इसलिये किसी लफडे में पड़ना नहीं चाहता था। लेकिन मैं यह भी नहीं देख सकता था कि एक बेवश औरत उन दोनों बदमाशों के चाकूओं का निशाना बन जाये मैं फौरन ही कौधा बन कर लपका एक बदमाश बड़े इत्मीनान से खड़ा था शायद उसे विश्वास था कि कोई भी उसके मुकाबले में आने की जुर्रत नहीं करेगा ।
मैं उसके पीछे पहूंचा और उछलकर एक कमर पर लात जमा दी मेरे अचानक हमले से वह अपना संतुलन कायम नहीं रख सका वह जमीन पर मुंह के बल गिर पड़ा उससे पहले कि वह उठे कई फकीर उस पर टूट पड़े। उन्हें उस अमीर औरत से ज्यादा पैसे पाने का लालच था भीड़ में से किसी शख्स ने दूसरे बदमाश के सिर पर पत्थर दे मारा उस बदमाश का सिर फट गया और वह चक्कर खाकर जमीन पर बिखर गया। उस औरत की आंखों में मौत कि दहसत साफ दिखाई देती थी वह शायद यह समझी की मैंने अकेले ही उन दोनों बदमाशों को काबू में कर लिया तभी तो वह मेरे पास पहूंच कर रूकी उसने कृतज्ञताभरी नजरों से मेरी तरफ देखा और अपने हवास पर किसी कदर काबू पाकर कांपती हूयी आवाज में बोली क्या तुम मुझ पर एक और एहसान कर सकते हो मुझे मेरे घर तक पहूंचा दो ।
मैं उसकी बात का मतलब समझने की कोशिश कर रहा था वह मुझे खामोश पाकर जल्दी से कहने लगी मिस्टर मैं चाहती हूं कि तुम मुझे मेरे घर तक पहूंचा दो मैं तुम्हारा यह अहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूगी इस वाकये कि उस औरत पर ऐसी दहशत बैठ गयी थी कि उसके दिल और दिमाग अभी तक पूर सूकून नहीं हुये थें तभी भीड़ में से कोई चिल्लाया इन बदमाशों को पुलिस के हवाले कर दो । यह सुनते ही औरत के मन में घबराहट और बढ़ गयी शायद वह नहीं चाहती थी कि यह नौवत पुलिस तक पहुंचे पुलिस का नाम सुनते ही मैं भी घवरा गया था । चलिए उस औरत ने अन्दर की गली कि तरफ तेजी से बढ़ते हुये कहा इधर मेरी कार खड़ी है। मैं भी औरत के पीछे हो लिया एक बारगी मैंने चलते-चलते पलट कर भी पीछे की तरफ देखा था लोग अब भी लातो और घूसे से बदमाशों की खातिरदार कर रहे थें।
 
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	        यह वाकई मेरी जिंदगी का एक अजीबोगरीब और नाकाबिले-यकीन वाकया था। इतने साल गुजरने के बावजूद जब याद आता है, तो हैरान रह जाता हूं। मैं इतना बहादुर तो नहीं था, फिर भी न जाने कैसे मुझसे यह सब हो गया मुझे अब भी वह दिन याद हैं जब मैं जकरिया स्ट्रीट पर यूं ही धूम रहा था कि अचानक मेरी निगाह उन फकीरों की तरफ उठ गयी हो जकरिया मस्जिद के आस पास टोलियों में बैठे आने जाने वाले से जबरदस्ती भीख हांसिल करने की कोशिश कर रहे थें वहीं पर मैंने एक रोबदा अधेड़ औरत को भी देखा जो सफेद साड़ी पहने हूये थी वह खातून मस्जिद के आस-पास मौजूद फकीरों को खैरात बांट रही थी।
वह देखने से ही अमीर घराने की मालूम पड़ती थी उसके आसपास भीड़ सी लग गयी उसमें बच्चे, औरतें, बूढ़े, मर्द और जवान भी थे। उस अमीर औरत ने उन पर उचटती सी निगाह डाल कर शांत स्वर में कोई बात कही और अपने खूबसूरत हाथ से इशारा किया ।
साहसा उस भीड़ को चीरते हूये दो आदमी उसके सामने जा पहूचे वे छटे हूये बदमाश लग रहे थे अकस्मात मेरी नजरों के सामने दो चाकू लहराने लगे जिनका निशाना उस औरत की तरफ था । मैंने एक नजर में महसूस किया कि दोनों बदमाशों का मकसद पर्स छिन कर परार होना नहीं था
उस औरत का चहरा फक होकर सफेद पड़ गया था वह घबराकर दो कदम पीछे हटी और उसने अपने आस-पास मदद के लिये देखा, लेकिन चमकते हूये चाकू देखकर किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि आगे बढ़कर उसे बचाये ।
कलकत्ता के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी मैं वहां का रहने वाला भी नहीं था। इसलिये किसी लफडे में पड़ना नहीं चाहता था। लेकिन मैं यह भी नहीं देख सकता था कि एक बेवश औरत उन दोनों बदमाशों के चाकूओं का निशाना बन जाये मैं फौरन ही कौधा बन कर लपका एक बदमाश बड़े इत्मीनान से खड़ा था शायद उसे विश्वास था कि कोई भी उसके मुकाबले में आने की जुर्रत नहीं करेगा ।
मैं उसके पीछे पहूंचा और उछलकर एक कमर पर लात जमा दी मेरे अचानक हमले से वह अपना संतुलन कायम नहीं रख सका वह जमीन पर मुंह के बल गिर पड़ा उससे पहले कि वह उठे कई फकीर उस पर टूट पड़े। उन्हें उस अमीर औरत से ज्यादा पैसे पाने का लालच था भीड़ में से किसी शख्स ने दूसरे बदमाश के सिर पर पत्थर दे मारा उस बदमाश का सिर फट गया और वह चक्कर खाकर जमीन पर बिखर गया। उस औरत की आंखों में मौत कि दहसत साफ दिखाई देती थी वह शायद यह समझी की मैंने अकेले ही उन दोनों बदमाशों को काबू में कर लिया तभी तो वह मेरे पास पहूंच कर रूकी उसने कृतज्ञताभरी नजरों से मेरी तरफ देखा और अपने हवास पर किसी कदर काबू पाकर कांपती हूयी आवाज में बोली क्या तुम मुझ पर एक और एहसान कर सकते हो मुझे मेरे घर तक पहूंचा दो ।
मैं उसकी बात का मतलब समझने की कोशिश कर रहा था वह मुझे खामोश पाकर जल्दी से कहने लगी मिस्टर मैं चाहती हूं कि तुम मुझे मेरे घर तक पहूंचा दो मैं तुम्हारा यह अहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूगी इस वाकये कि उस औरत पर ऐसी दहशत बैठ गयी थी कि उसके दिल और दिमाग अभी तक पूर सूकून नहीं हुये थें तभी भीड़ में से कोई चिल्लाया इन बदमाशों को पुलिस के हवाले कर दो । यह सुनते ही औरत के मन में घबराहट और बढ़ गयी शायद वह नहीं चाहती थी कि यह नौवत पुलिस तक पहुंचे पुलिस का नाम सुनते ही मैं भी घवरा गया था । चलिए उस औरत ने अन्दर की गली कि तरफ तेजी से बढ़ते हुये कहा इधर मेरी कार खड़ी है। मैं भी औरत के पीछे हो लिया एक बारगी मैंने चलते-चलते पलट कर भी पीछे की तरफ देखा था लोग अब भी लातो और घूसे से बदमाशों की खातिरदार कर रहे थें।
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