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कैसे जीतें क्रोध को
created May 23rd 2020, 09:49 by 123Aravind
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क्रोध को जीतने का सरल उपाय है, दिन की शुरूआत सकारात्मक साेच के साथ करें; मन्दिर, गुरुद्वारे जाकर या घर में बैठे एकाग्र मन से परमात्मा को याद करके करें। हम शरीर को चाय-नाश्ता देकर रिचार्ज करते हैं और मोबाइल को लाइट से जोड़ कर चार्ज किया जाता है। मन को चार्ज करने के लिए परमात्मा रूपी पावर हाऊस से जुड़ना आवश्यक है। जितनी चार्जिंग पावरफुल उतना मन शान्त। आओ, इसी क्षण मन को चार्ज करें और प्रफुल्लित हो जाऍं। क्रोध का दूसरा कारण है सामने वाले को क्रोधित देख क्रोध करना। फिर तो हम गुलाम हो गये। सामने वाले हँसें ताे हम हॅंसें, वे क्रोध करें तो हम भी क्रोध करें। क्या हमारी स्वयं पर पकड़ नहीं है? क्रोध का भूत आ रहा है, भगा सकते हो तो भगाओ या खुद शान्त रहो, चुप हो जाओ, यही उचित जवाब है। कुछ लोग कहते हैं, किसी को झूठ बोलते या अपराध करते देख क्रोध आ जाता है। क्या क्रोध अपने आप में अपराध नहीं है? क्षणिक क्रोध भी परिवार बर्बाद कर सकता है, जेल की हवा खिलवा सकता है, सारी जि़न्दगी का पश्चाताप दे सकता है।
गुलाम बनने की बजाय गुलाम बनाएं
क्रोध के कारण हम डिप्रेशन, तनाव, सम्बध विच्छेद व अनेक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। एक रिसर्च के अनुसार हम जितना अधिक क्रोध करते हैं उससे अपच, एसिडिटी व मधुमेह आदि रोग लग जाते हैं। क्रोध हमें उस तरह जलाता है जैसे आग सूखी लकड़ी को जलाकर भस्म कर देती है। आओ हम सभी मिल कर अपनी चेकिंग करें। सुबह उठते ही धारणा करें कि आज मुझे क्रोधमुक्त होने का प्रयास करना है और रात को चेकिंग करनी है कि इस शत्रु को कितनी बार जीता है? माना आज 20 की बजाय 10 बार क्राेध आया तो 10 बार तो हमने जीत लिया। इस प्रकार प्रयास से धीरे-धीरे इस शत्रु को जीतना है। अगर फिर भी क्रोध आता है तो अपने आप को सज़ा दें। सज़ा में खाना-पीना छोड़ें अथवा वह वस्तु खाना छोड़ें जो अपको सबसे अधिक प्रिय है। साधना में बैठें। जो काम कठिन लगता है उसे करने के रूप में सज़ा अपने लिए निश्चित करें। गुलाम बनने की बजाय इस गुप्त शत्रु को गुलाम बनाएं, घर से अशान्ति, दरिद्रता व रोगों को भगाऍं।
गुलाम बनने की बजाय गुलाम बनाएं
क्रोध के कारण हम डिप्रेशन, तनाव, सम्बध विच्छेद व अनेक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। एक रिसर्च के अनुसार हम जितना अधिक क्रोध करते हैं उससे अपच, एसिडिटी व मधुमेह आदि रोग लग जाते हैं। क्रोध हमें उस तरह जलाता है जैसे आग सूखी लकड़ी को जलाकर भस्म कर देती है। आओ हम सभी मिल कर अपनी चेकिंग करें। सुबह उठते ही धारणा करें कि आज मुझे क्रोधमुक्त होने का प्रयास करना है और रात को चेकिंग करनी है कि इस शत्रु को कितनी बार जीता है? माना आज 20 की बजाय 10 बार क्राेध आया तो 10 बार तो हमने जीत लिया। इस प्रकार प्रयास से धीरे-धीरे इस शत्रु को जीतना है। अगर फिर भी क्रोध आता है तो अपने आप को सज़ा दें। सज़ा में खाना-पीना छोड़ें अथवा वह वस्तु खाना छोड़ें जो अपको सबसे अधिक प्रिय है। साधना में बैठें। जो काम कठिन लगता है उसे करने के रूप में सज़ा अपने लिए निश्चित करें। गुलाम बनने की बजाय इस गुप्त शत्रु को गुलाम बनाएं, घर से अशान्ति, दरिद्रता व रोगों को भगाऍं।
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