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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Mar 28th 2020, 04:56 by VivekSen1328209


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एक मकड़ी थी, उसने आराम से रहने के लिए एक शानदार जाला बनाने का विचार किया और सोचा कि इस जाले में खूब कीड़ें, मक्ख्यिां फसेंगी और मैं उसे आहार बनाऊंगी और मजे से रहूंगी। उसने कमरे के एक कोने को पसंद किया और वहां जाला बुनना शुरू किया। कुछ देर बाद आधा जाला बुनकर तैयार हो गया। यह देखकर वह मकड़ी काफी खुश हुई कि तभी अचानक उसकी नजर एक बिल्‍ली पर पड़ी जो उसे देखकर हंस रही थी। मकड़ी को गुस्‍सा गया और बिल्‍ली से बोली हंस क्‍यों रही हो। हंसू नहीं तो क्‍या करू, बिल्‍ली ने जवाब दिया यहां मक्खियां नहीं है ये जगह तो बिलकुल साफ सुधरी है, यहां कौन आयेगा तेरे जाल में ये बात मकड़ी के गले उतर गई उसने अच्‍छी सलाह के लिये बिल्‍ली को धन्‍यवाद किया और जाला अधूरा छोड़कर जगह तलाश करने लगी उसने ईधर ऊधर देखा उसे एक खिड़की नजर आयी फिर उसने जाला बुनना शुरू किया कुछ देर तक वह जाला बुनती रही, तभी एक चिड़िया आयी और मकड़ी का मजाक उड़ाते हुए बोली अरे मकड़ी तू भी बेवकूफ है। क्‍यों मकड़ी ने पूछा, चिड़िया उसे समझाने लगी अरे यहां तो खिड़की से तेज हवा आती है। यहां तो तू अपने जाले के साथ ही उड़ जायेगी। मकड़ी को चिड़िया की बात ठीक लगी और वह वहां भी जाला अधूरा बना छोड़कर सोचने लगी अब कहां जाला बनायां जाये समय काफी बीत चूका था और अब उसे भूख भी लगने लगी थी अब उसे एक आलमारी का खुला दरवाला दिखा और उसने उसी में अपना जाला बुनना शुरू किया कुछ जाला बुना ही था तभी उसे एक काक्रोच नजर आया जो जाले को अचरज भरे नजरों से देख रहा था। मकड़ी ने बोला ऐसे क्‍यों देख रहे हो। काक्रोच बोला अरे यहां कहां जाला बुनने चली आयी ये तो बेकार की आलमारी है अभी ये कहां पड़ी है कुछ दिनों बाद इसे बेच दिया जायेगा और तुम्‍हारी सारी मेहनत बेकार चली जायेगी। यह सुनकर मकड़ी ने वहां से हट जाना ही बेहतर समझा दोस्‍तों हमारी जिंदगी में भी कई बार कुछ ऐसा ही होता है हम कोई काम शुरू करते हैं। शुरू-शुरू में तो हम उस काम के लिये बड़े उत्‍साहित रहते हैं पर लोगों की बातों से उत्‍साह कम होने लगता है और हम अपना काम बीच में छोड़ देते हैं ओर जब बाद में पता चलता है कि हम अपने सफलता के कितने नजदीक थे तो बाद में पछतावे के अलावा कुछ नहीं बचता।  

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