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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Mar 27th 2020, 04:33 by AnujGupta1610
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जंगल में जीवों की सभा बुलाई जा रही है। बंदरों को पूरे जंगल को सूचना देने का जिम्मा दिया गया है। बंदरों को इसलिए, क्योंकि वो फूर्ती से काम करते हैं। सभा बुलाने का उद्देश्य जंगल में चुनाव की घोषणा करना है, क्योंकि जंगली नहीं चाहते कि शेर उनका राजा बना रहे। वो शेर के शासन से ऊब गए हैं। वो चाहते हैं कि जंगल में लोकतंत्र को पूरी तरह लागू किया जाए। शेर परिवार का राज हमेशा के लिए खत्म किया जाए। जानवर जिसको चाहें, अपना राजा बनाएं।
शेर ने सुना कि बंदर को राजा बना दिया गया है तो वह स्वयं की हंसी रोक नहीं पाया। वह जानता है कि बंदर क्या सभी जीवों को अपनी दुख तकलीफ लेकर मेरे पास ही आना पड़ेगा, क्योंकि बंदर के बस में शासन चलाना नहीं है। उधर, राजा घोषित होने के बाद बंदर खुशी में पगला सा गया है। वह अपने साथ कुछ चापलूस बंदरों और जानवरों को लेकर पूरे जंगल का दौरा कर रहा है। वह जिसको चाहे डांट दे, फटकार दे, कोई उसके सामने कुछ नहीं बोलता। क्योंकि सभी ने उसे ही तो अपना राजा बनाया है। इसलिए उसको सहन भी करना पड़ेगा।
राजा बंदर के पास जानवर अपनी समस्याएं लेकर आने लगे। एक दिन एक लोमड़ी ने राजा बंदर से फरियाद की कि शेर के उत्पीड़ने से मुक्ति दिलाई जाए। शेर रोजाना सुबह होते ही उसके घर के सामने आकर बैठ जाता है और जोरों से डकार मारता है। इससे उसके बच्चे बुरी तरह घबरा गए हैं और कुछ खा पी नहीं रहे हैं। उसके बच्चों का जीवन खतरे में है। शेर को वहां से हटाया जाए, नहीं तो उसके बच्चे बेमौत मारे जाएंगे।
बंदर ने कहा ऐसी बात है। शेर को वहां से तुरंत हटाया जाएगा। तुम घर जाओ और यह काम मुझ पर सौंप दो। बंदर ने तुरंत बाघ को बुलाया और आदेश दिया कि शेर को वहां से हटने के लिए कहा जाए। उसके सामने जाकर कहना कि यह राजा बंदर का आदेश है। अगर तुम लोमड़ी के घर के सामने से नहीं हटे तो बल प्रयोग किया जा सकता है। बंदर ने आदेश का अनुपालन कराने के लिए बाघ मौके पर गया और शेर से कहा, हट जाओ यहां से। शेर ने कहा, तुम कौन होते हो, मुझे यहां से हटाने वाले। जंगल में यह कैसा लोकतंत्र है कि किसी जानवर को उसकी इच्छा से कहीं बैठकर आराम भी नहीं करने दिया जा रहा है।
बाघ ने कहा, तुम्हारी इस हरकत से लोमड़ी के बच्चे परेशान हो रहे हैं। शेर ने जवाब दिया, मैं तो उनसे कुछ नहीं कह रहा। खाना खाकर धूप सेंकने आता हूं यहां। यह किसने कह दिया कि डकार मारना अपराध है। तुम चले जाओ यार, मेरा मूड खराब मत करो, शेर ने दहाड़ मारकर कहा। बाघ ने सोचा कि शेर से भिड़ना ठीक नहीं है। यह हमारी फैमिली का ही तो मेंबर है। क्या जाने कब जंगल की सत्ता इसके हाथ में आ जाए। बाघ यह कहता हुआ कि जैसी तुम्हारी मर्जी, मैं क्या करूं, राजा स्वयं देखेगा तुम को वहां से चला गया।
शेर ने सुना कि बंदर को राजा बना दिया गया है तो वह स्वयं की हंसी रोक नहीं पाया। वह जानता है कि बंदर क्या सभी जीवों को अपनी दुख तकलीफ लेकर मेरे पास ही आना पड़ेगा, क्योंकि बंदर के बस में शासन चलाना नहीं है। उधर, राजा घोषित होने के बाद बंदर खुशी में पगला सा गया है। वह अपने साथ कुछ चापलूस बंदरों और जानवरों को लेकर पूरे जंगल का दौरा कर रहा है। वह जिसको चाहे डांट दे, फटकार दे, कोई उसके सामने कुछ नहीं बोलता। क्योंकि सभी ने उसे ही तो अपना राजा बनाया है। इसलिए उसको सहन भी करना पड़ेगा।
राजा बंदर के पास जानवर अपनी समस्याएं लेकर आने लगे। एक दिन एक लोमड़ी ने राजा बंदर से फरियाद की कि शेर के उत्पीड़ने से मुक्ति दिलाई जाए। शेर रोजाना सुबह होते ही उसके घर के सामने आकर बैठ जाता है और जोरों से डकार मारता है। इससे उसके बच्चे बुरी तरह घबरा गए हैं और कुछ खा पी नहीं रहे हैं। उसके बच्चों का जीवन खतरे में है। शेर को वहां से हटाया जाए, नहीं तो उसके बच्चे बेमौत मारे जाएंगे।
बंदर ने कहा ऐसी बात है। शेर को वहां से तुरंत हटाया जाएगा। तुम घर जाओ और यह काम मुझ पर सौंप दो। बंदर ने तुरंत बाघ को बुलाया और आदेश दिया कि शेर को वहां से हटने के लिए कहा जाए। उसके सामने जाकर कहना कि यह राजा बंदर का आदेश है। अगर तुम लोमड़ी के घर के सामने से नहीं हटे तो बल प्रयोग किया जा सकता है। बंदर ने आदेश का अनुपालन कराने के लिए बाघ मौके पर गया और शेर से कहा, हट जाओ यहां से। शेर ने कहा, तुम कौन होते हो, मुझे यहां से हटाने वाले। जंगल में यह कैसा लोकतंत्र है कि किसी जानवर को उसकी इच्छा से कहीं बैठकर आराम भी नहीं करने दिया जा रहा है।
बाघ ने कहा, तुम्हारी इस हरकत से लोमड़ी के बच्चे परेशान हो रहे हैं। शेर ने जवाब दिया, मैं तो उनसे कुछ नहीं कह रहा। खाना खाकर धूप सेंकने आता हूं यहां। यह किसने कह दिया कि डकार मारना अपराध है। तुम चले जाओ यार, मेरा मूड खराब मत करो, शेर ने दहाड़ मारकर कहा। बाघ ने सोचा कि शेर से भिड़ना ठीक नहीं है। यह हमारी फैमिली का ही तो मेंबर है। क्या जाने कब जंगल की सत्ता इसके हाथ में आ जाए। बाघ यह कहता हुआ कि जैसी तुम्हारी मर्जी, मैं क्या करूं, राजा स्वयं देखेगा तुम को वहां से चला गया।
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