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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Feb 27th 2020, 10:55 by


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एक बार की बात है गौतम बुद्ध अपने शिष्‍यों के साथ एक गांव से दूर किसी बड़े नगर की तरफ जा रहे थे। गर्मी के दिन थे और रास्‍ता भी बहुत लंबा था। गौतम बुद्ध अपने शिष्‍यों सहित बहुत देर से चल रहे थे जिस वजह से उन्‍हें बहुत प्‍यास लगती है। वहां से कुछ ही दूरी पर बरगद के वृक्ष की एक घनी छांव थी सभी लोग उस वृक्ष के पास पहुंच जाते है महात्‍मा बुद्ध अपने शिष्‍यों सहित वृक्ष की घनी छाया के नीचे विश्राम करने लगते हैं।
    बहुत देर से चलने की वजह से सभी का गला प्‍यास से सूख रहा था। यह बात बुद्ध जानते थे बुद्ध ने अपने एक शिष्‍य को कहा, आप इस बरगद की छाया से बीस कदम दूरी जाकर बरगद की दो बार परिक्रमा करके वापिस आओ। शिष्‍य वैसा ही करता है जैसा बुद्ध ने बताया परिक्रमा के बाद जब शिष्‍य महात्‍मा बुद्ध के पास आया तो बुद्ध बोले की क्‍या आपको किसी ठंडी हवा का अनुभव हुआ था। शिष्‍य बोला हां महात्‍मा बुद्ध उस उत्‍तर दिशा की तरफ से मुझे कुछ ठंडी हवा का अनुभव हुआ था।
    शिष्‍य की यह बात सुन महात्‍मा बुद्ध शिष्‍य से तुरंत बोले की उसी दिशा में चले जाओ जरूर वहां से कुछ ही दूर पर एक तालाब अवश्‍य मिलेगा। उस तालाब से सब के लिए पानी ले आओ। शिष्‍य उसी दिशा में जब कुछ दूर जाता है तो वहां सच में एक तालाब होता है। तालाब देख शिष्‍य बहुत प्रसन्‍न होता है और तालाब के निकट जाकर जैसे ही तालाब से पानी भरने वाला होता है तभी शिष्‍य की नजर वहां दूर तालाब में कपड़े धो रही कुछ स्त्रियों पर जाती है। यह देख शिष्‍य मन में सोचते हैं कि यह पानी तो गंदा हो गया है। लेकिन जब शिष्‍य ध्‍यान से तालाब के पानी को देखते हैं कि अभी तो तालाब का कुछ पानी साफ है इतने में दो बैल गाड़ी जोर से तालाब के किनारे से होती हुई निकल जाती है।
    बैल गाड़ी के पहिये तालाब की मिट्टी के ऊपर इतनी जोर से निकलते हैं कि तालाब के नीचे बैठी बहुत सारी मिट्टी तालाब के ऊपर जाती है जिस वजह से तालाब का बचा हुआ पानी भी गंदा हो जाता है।
    यह देख शिष्‍य बिना पानी लिए क्रोध में महात्‍मा बुद्ध के पास वापिस चला जाता है। शिष्‍य बड़े ही निराशा भाव से महात्‍मा बुद्ध को सब बात बताता है। शिष्‍य की बाते सुन सभी शिष्‍य बोलते हैं कि हमें तुरंत यहां से निकलना चाहिए किसी दूसरी जगह पानी की खोज करनी चाहिए वरना प्‍यास के मारे जान निकल जाएगी।
    इधर महात्‍मा बुद्ध सभी को शांत होने के लिए कहते हैं और बोलते हैं कि धीरज रखो कुछ देर यही बैठो। उचित समय आने तक संयम बनाए रखो। सभी महात्‍मा बुद्ध की बात सुनकर शांत हो जाते हैं और वहीं बैठ जाते हैं। कुछ समय बीत जाने के बाद महात्‍मा बुद्ध फिर से अपने शिष्‍य को उसी तालाब से पानी लाने के लिए कहते हैं। शिष्‍य बिना कोई सवाल किए उसी तालाब से पानी लेने के लिए फिर से चला जाता है।  

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