Text Practice Mode
साई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्यू बैंच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Feb 26th 2020, 03:47 by rajni shrivatri
2
245 words
13 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए दिन-रात परिश्रम करता, परंतु फिर भी घोर अभावों में घिरा रहता। उसके इस दैनिक कर्म को और उसकी स्थिति को एक महात्मा देखता रहता। एक दिन महात्मा ने कहा- बच्चा आगे चलो, आगे चलो। लकड़हारा जहां पहले जाता था, उससे कुछ आगे बढ गया। उसे वहां एक चंदन वन दिखाई दिया। वह लकडिया काट लाया। चंदन की लकडिया खूब महंगी बिकी। फिर एक दिन उसे वही महात्मा मिले। उनहोंने लकड़हारे को समझाया बच्चा जीवन में एक ही स्थान पर मत रूको, चलते रहो। नदी के जल समान चलते रहोगे तो साफ सुथरे स्वस्थ्य रहोगे! तालाब के जल के समान रूक गए तो सड़ जाओ आगे चलते रहो बढ़ते रहो और आगे और आगे। लकड़हारे ने विचार किया और वह चंदन वन से और आगे बढ़ गया। आगे चलकर उसे तांबे की खान मिली और उसने बहुत धन कमाया। आगे चलकर उसे चांदी की खान मिल गई और वह मालामाल हो गया। एक दिन फिर उसे महात्मा मिले। वह बड़े प्यार से समझाने लगे बच्चा- यही मत रूकना आगे चलते रहना। जैसे आगे बढ़ते-बढ़ते तूमने धन वैभव पाया है। वैसे ही धर्म के राज्य में होता है। अब लकड़हारा और आगे बढ़ने लगा परिणाम स्वरूप उसे सोने की खान मिली वह बहुत धनवान बन गया उसके आनंद की सीमा न थी। इसलिए कहते है कि इंसान को कभी भी एक जगह नहीं रूकना चाहिए। अपने जीवन में हमेशा आगे बढना चाहिए।
