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साई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैंच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Feb 25th 2020, 11:01 by Jyotishrivatri


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वर्तमान में जीना ही वास्‍तविकता में जीना है। वर्तमान के क्षणों का उपयोग ही समय का सार्थक उपयोग है। वर्तमान हमारी अनमोल परंतु गतिशील संपत्ति है। यह कभी भी स्थिर नहीं रहता, निरंतर चलायमान है और इसे हासिल करने, संभालने का एक ही तरीका है कि इस के साथ ही गतिशील रहा जाए, निरंतर इसका उपयोग किया जाए। जितना हम इस का उपयोग करेंगे उतनी ही मात्रा में यह हमारा है, अन्‍यथा हमारे पास होकर भी यह हमारे किसी काम का नहीं है। यह बात जरूर है कि इस संपत्ति की एक सीमा है, अर्थात जब तक जीवन है तब तक ही वर्तमान की संपत्ति हमारे पास है, इस के बाद नहीं। वर्तमान ही हमारे व्‍यक्तित्‍व को तराशता है। वर्तमान ही हमें जीवन के बहुमूल्‍य अवसर देता है। वर्तमान जैसा उपहार जीवन में अन्‍य कुछ भी नहीं है, फिर भी इसकी कीमत से अनजान हर कोई इसे गंवाता जा रहा है। समझदार वही है जो वर्तमान के महत्‍व को केवल समझते हैं, बल्कि इस अमूल्‍य सपंदा का उपयोग करना भी जानते है। इस वर्तमान पर सही अर्थ में अपना अधिकार जता पाते हैं वही इस के मालिक होते है।  
वर्तमान वह समय है जो हर पल हमारे साथ है वर्तमान वह हर क्षण है जो हर पल गुजरता जा रहा है। वर्तमान की इस नदी का प्रत्‍येक जल-कण हमसे होकर गुजरता है, दोबारा इस में वापस नहीं आता। इस वर्तमान रूपी नदी का हर जल-कण नवीन होता है और बस, गुजरता जाता है। यदि हमें इस का उपयोग करना है तो हमें भी इसके साथ गतिशील होना होगा। हमारा वर्तमान बहते पानी के समान निरंतर गतिशील है। यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम इसमें से कितना ग्रहण कर पाते है। यहां हमारे में निर्भर करता है कि हम इसका कितना उपयोग कर पाते है और यह हमारे कितने काम पाता है। जिन्‍होंने वर्तमान को समझा है, इसके महत्‍व को जाना है, इसकी कीमत को पहचाना है, उसके साथ निरंतर जुटे रहते है, इसे व्‍यर्थ नहीं गंवाते। इसके हर पल का सार्थक उपयोग करते हैं। जो बीत गया वह अतीत है, और जो आने वाला है, वह भविष्‍य है, परंतु यह दोनों ही हमारे हाथों में नही होते, हमारी कल्‍पनाओं में होते है। अतीत और भविष्‍य दोनों ही हमारे चिंतन में होते है। लेकिन हम इन में प्रवेश करके इसमें जी नहीं सकते। अतीत की यादे हमें परेशान कर सकती है, भविष्‍य की चिंता हमें प्रेरित कर सकती है, लेकिन केवल वर्तमान में ही हम अपना कार्य कर सकते है, इसे मनचाहे आकार में ढालने का प्रयत्‍न कर सकते है। अतीत वह आकार है, जो ढल चुका है और भविष्‍य वह आकार है जो अभी बना नहीं है, लेकिन वर्तमान वह आकार है जो अभी हमारे समक्ष उपलब्‍ध है।    

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