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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Feb 25th 2020, 10:11 by AnujGupta1610
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फरवरी महीने का इतिहास फरवरी, साल का इकलौता ऐसा महीना जिसमें होते हैं सबसे कम 28 दिन। हां हर चौथे साल 29 फरवरी भी आती है। लेकिन कभी सोचा है क्यों होते हैं फरवरी में सिर्फ 28 या 29 दिन हो सकता है आप में से कई लोगों ने सोचा भी हो। हमने भी यही सोचा और ढूंढ लाये इसका जवाब।
फरवरी साल का दूसरा और सबसे छोटा महीना होता है। यह एक मात्र महीना है जो बिना अमावस या पूर्णिमा के भी निकल सकता है। फरवरी का महीना जिसमें पूर्णिमा नहीं थी, वर्ष 2018 में बीता है और अगली बार ऐसा अवसर वर्ष 2037 में आएगा। वहीं बिना अमावस के फरवरी का महीना वर्ष 2014 में बीता था और अब अगली बिना अमावस के फरवरी वर्ष 2033 में आएगी। यह एकमात्र ऐसा महीना है जो हर छह साल में एक बार और हर साल में दो बार, या तो अतीत में वापस जाता है या भविष्य में आगे आता है, जिसमें 7 दिनों के पूरे चार सप्ताह होते हैं। बहुत पुरानी बात है उस समय जनवरी और फरवरी नाम के महीनों को कोई अस्तित्व नहीं था। क्योंकि रोमन के लोग शीत ऋतु को महीनों में नहीं गिनते थे। ये महीने तो रोमन शासक नूमा पोम्पिलिअस ने 713 ई.पू. ग्रेगोरियन कैलेंडर में जोड़े। उस समय एक साल में 354 दिन होते थे। रोमन में साम्राज्य में सम संख्या को अशुभ माना जाता था। इसलिए नूमा पोम्पिलिअस ने वर्ष में एक दिन बढ़ा कर विषम यानि कि 355 दिन कर दिए परन्तु यह बात राज ही रह गयी कि फरवरी माह को सम संख्या के साथ क्यों छोड़ दिया गया। यह कारण इस तथ्य से संबंधित हो सकता है कि रोमन फरवरी में मृतकों का सम्मान और शुद्धि के संस्कार करते थे।
मजे कि बात यह थी कि नूमा पोम्पिलिअस के शासन में फरवरी में 23 या 24 दिन हुआ करते थे। अधिवर्ष में फरवरी महीना 27 दिनों का कर दिया जाता था। और आज की तरह 4 साल बाद नहीं बल्कि 2 साल बाद ही आता था। इतना ही नहीं राज्य में काम करने वाले कर्मचारी इसे अपनी सहूलियत के हिसाब से आगे पीछे भी कर लेते थे।
फरवरी साल का दूसरा और सबसे छोटा महीना होता है। यह एक मात्र महीना है जो बिना अमावस या पूर्णिमा के भी निकल सकता है। फरवरी का महीना जिसमें पूर्णिमा नहीं थी, वर्ष 2018 में बीता है और अगली बार ऐसा अवसर वर्ष 2037 में आएगा। वहीं बिना अमावस के फरवरी का महीना वर्ष 2014 में बीता था और अब अगली बिना अमावस के फरवरी वर्ष 2033 में आएगी। यह एकमात्र ऐसा महीना है जो हर छह साल में एक बार और हर साल में दो बार, या तो अतीत में वापस जाता है या भविष्य में आगे आता है, जिसमें 7 दिनों के पूरे चार सप्ताह होते हैं। बहुत पुरानी बात है उस समय जनवरी और फरवरी नाम के महीनों को कोई अस्तित्व नहीं था। क्योंकि रोमन के लोग शीत ऋतु को महीनों में नहीं गिनते थे। ये महीने तो रोमन शासक नूमा पोम्पिलिअस ने 713 ई.पू. ग्रेगोरियन कैलेंडर में जोड़े। उस समय एक साल में 354 दिन होते थे। रोमन में साम्राज्य में सम संख्या को अशुभ माना जाता था। इसलिए नूमा पोम्पिलिअस ने वर्ष में एक दिन बढ़ा कर विषम यानि कि 355 दिन कर दिए परन्तु यह बात राज ही रह गयी कि फरवरी माह को सम संख्या के साथ क्यों छोड़ दिया गया। यह कारण इस तथ्य से संबंधित हो सकता है कि रोमन फरवरी में मृतकों का सम्मान और शुद्धि के संस्कार करते थे।
मजे कि बात यह थी कि नूमा पोम्पिलिअस के शासन में फरवरी में 23 या 24 दिन हुआ करते थे। अधिवर्ष में फरवरी महीना 27 दिनों का कर दिया जाता था। और आज की तरह 4 साल बाद नहीं बल्कि 2 साल बाद ही आता था। इतना ही नहीं राज्य में काम करने वाले कर्मचारी इसे अपनी सहूलियत के हिसाब से आगे पीछे भी कर लेते थे।
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