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विशेष परीक्षण
created Feb 25th 2020, 08:32 by vijay
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अध्यक्ष महोदय, आज सदन में वित्त मंत्रालय की मांगों पर बहस हो रही है। सरकार के हर विभाग का वित्त मंत्रालय से संबंध होता है । देश में जो प्रगति हुई है और हो रही है उसकी काफी चर्चा हुई है । जो प्रगति हुई है वह चारों ओर दिखाई पड़ रही है । कम से कम रेल विभाग में तो काफी प्रगति दिखाई पड़ रही है। रलों में अब भीड़ कम होती है, बिजली का भी काफी विकास हुआ । लेकिन गांवो की ओर जो हमारा दृष्टिकोण है उसको देख कर कुछ तकलीफ होती है। अभी जो जनगणना हूई उसे देखने से मालूम होता है शहरों की जनसंख्या अधिक बढ़ी है। आज देहातों से लोग शहरो की ओर आ रहे हैं। हमारे राष्ट्र पिता ने कहा था कि लोग गांवों में बसे, गांव के जीवन को पवित्र करें। लेकिन स्वतंत्रता के साठ साल बीत जाने के बाद भी देहातों की तरफ न जाकर लोग शहरोंं की तरफ आते जा रहे हैं। इस प्रश्न पर हमें कुछ गम्भीरता से विचार करना होगा। यदि देहातों में लोगों को सुख-सुविधाएं मिलती जो आज शहरों में प्राप्त हैं तो लोग देहातों से शहरों की तरफ न दौड़ते बल्कि शहरोंं से देहातों की ओर जाते।
देहात के जीवन में दो प्रकार की चीजें थीं। एक तो जमींदारी प्रथा थी और दूसरे वे लोग थे जो रुपये का लेनदेन करते थे। जमींदारी प्रथा समाप्त हुई जिससे लोगों को कुछ राहत मिली । जाहं तक रुपये के लेनदेन का प्रश्न है पहले 25 प्रतिशत तक ब्याज लिया जाता था उसमें अब कमी हुई है लेकिन कहीं कहीं पर तो अभी भी उतना ही ब्याज लिया जाता है जिससे कर्ज लेने वाला उनके चंगुल से नहीं निकल पाता। सरकार भी अब उचित दर पर कर्ज देने लगी हैं। इसी कारण से कहीं –कहीं पर साहूकारों के ब्याज की दर में कमी आई है। लेकिन इसके बावजूद भी यदि हम देहातों और शहरों की तुलना करते हैं तो उन दोनों के स्तर में काफी अन्तर पाते है । अभी कहा गया है कि पंचवर्षीय योजना के कारण देश की आमदनी बढ़ी है। यदि यह बात सही है तो मैं जानना चाहता हूं कि वह आमदनी कहां गई। इस बात का पता लगाने के लिए सरकार ने एक कमेटी बैठाई है जो इस की जांच करेगी कि वह बढ़ी हूई आमदनी कहां है और किस के हाथ में पहूंची है। अभी एक माननीय सदस्य ने योजना मंत्री जी से प्रश्न पूछा था कि पहली और दूसरी योजनाओं के कार्यान्वित हो जाने के बाद किस भाग को अधिक लाभ पहुंचा है और किस भाग को कम लाभ पहुंचा है या बिलकुल नहीं पहुंचा है । इस प्रश्न के उत्तर में मंत्री महोदय ने बताया कि अभी इस पर विचार हो रहा है और देखा जा रहा है कि किस वर्ग को कितना लाभ हुआ है। मंत्री महोदय के इस उत्तर को सुनकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ है और मैं आशा करता हूं कि सरकार सब वर्गों का ध्यान रखेगी।
देहात के जीवन में दो प्रकार की चीजें थीं। एक तो जमींदारी प्रथा थी और दूसरे वे लोग थे जो रुपये का लेनदेन करते थे। जमींदारी प्रथा समाप्त हुई जिससे लोगों को कुछ राहत मिली । जाहं तक रुपये के लेनदेन का प्रश्न है पहले 25 प्रतिशत तक ब्याज लिया जाता था उसमें अब कमी हुई है लेकिन कहीं कहीं पर तो अभी भी उतना ही ब्याज लिया जाता है जिससे कर्ज लेने वाला उनके चंगुल से नहीं निकल पाता। सरकार भी अब उचित दर पर कर्ज देने लगी हैं। इसी कारण से कहीं –कहीं पर साहूकारों के ब्याज की दर में कमी आई है। लेकिन इसके बावजूद भी यदि हम देहातों और शहरों की तुलना करते हैं तो उन दोनों के स्तर में काफी अन्तर पाते है । अभी कहा गया है कि पंचवर्षीय योजना के कारण देश की आमदनी बढ़ी है। यदि यह बात सही है तो मैं जानना चाहता हूं कि वह आमदनी कहां गई। इस बात का पता लगाने के लिए सरकार ने एक कमेटी बैठाई है जो इस की जांच करेगी कि वह बढ़ी हूई आमदनी कहां है और किस के हाथ में पहूंची है। अभी एक माननीय सदस्य ने योजना मंत्री जी से प्रश्न पूछा था कि पहली और दूसरी योजनाओं के कार्यान्वित हो जाने के बाद किस भाग को अधिक लाभ पहुंचा है और किस भाग को कम लाभ पहुंचा है या बिलकुल नहीं पहुंचा है । इस प्रश्न के उत्तर में मंत्री महोदय ने बताया कि अभी इस पर विचार हो रहा है और देखा जा रहा है कि किस वर्ग को कितना लाभ हुआ है। मंत्री महोदय के इस उत्तर को सुनकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ है और मैं आशा करता हूं कि सरकार सब वर्गों का ध्यान रखेगी।
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