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बंसोड टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा, छिन्‍दवाड़ा मो.न.8982805777 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रांरभ

created Sep 20th 2019, 14:08 by SARITA WAXER


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हमारे भारतीय समाज में नारी को बचपन से ही कुछ संस्‍कार दिए जाते है। और वो संस्‍कार उसे सहज कर रखना होता है। जैसे धीरे बोलों, किसी के सामने ज्‍यादा नहीं हसना, गंभीर बनो यानी समझदार बन कर रहना। उस बच्‍ची का बचपन जाने किस अंधेरे कमरे में गुम हो जाता है। हमारा पुरूष प्रधान देश क्‍यु नहीं समझता कि नारी प्रकृति का अनमोल उपहार है। उसके मन में कुछ कोमल संवेदनाएं होती है। जो उसे खुबसूरत बनाती है। वो एक ममता का रूप है और इस ममता रूपी नारी को हर रूप में हमेशा छल कपट ही मिला है। परन्तु आज की नारी इन सब बातो को छोड़कर काफी आगे निकल आई है। आज नारी में आधुनिक बनने की होड़ लगी है। नारी के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है, क्षेत्र में आगे बड़ रही है, बदल रही है और ये परिवर्तन सभी को देखने को मिल रहा है। पहले नारी का जीवन घर की चार दीवारों में ही बीत जाता था। चूल्‍हा-चौका करके और संतानोत्‍पति तक ही उसका जीवन सिमित था। विशेष रूप से नारी का एक ही कर्त्‍तव्‍य था। घर संभालना, उसे घर की इज्‍जत मान कर घर में ही परदे के पीछे रखा जाता था। उसे मां के रूप में, पत्‍नी के रूप में, पुत्री के रूप में, आज नाजी का कदम घर से बाहर की और बड़ गया है। आज भारतीय नारी चार दीवारी से निकल कर अपने अधिकारों के प्रति सजग हो गयी है।‍ शिक्षित होकर विभिन्‍न क्षेत्रों में वो अच्‍छा प्रदर्शन कर रही है। नारी को भोग्‍या मानने वाले पुरूष प्रधान समाज में नारी ने प्रमाणित कर दिया कि वो भी इस पुरूष प्रधान देश में अपना लोहा रख सकती है। आज उसकी प्रतिभा और दृष्टिकोण पुरूष से पीछे नहीं है। साहित्‍य, चिकित्‍सा, विज्ञान, अनेक ऐसे क्षेत्र है। जिसमें नारी ने अपनी प्रतिभा प्रदर्शित की है

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