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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created Sep 20th 2019, 07:39 by


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अभियोजन कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि घटना दिनांक 2 मई को फरियादी सुल्‍तान सिंह यादव द्वारा घायल अवस्‍था में थाना मोहनगढ़ में इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख कराई गई कि वह अपनी गाय भैंसों को चौहान के खेत चितवा मौजा में चरा रहा था तभी गांव का जगदीश यादव आया और उसकी गाय-भैंसों को भगाने लगा जब उसने कहा कि मेरी गाय भैंस क्‍यों भगाईं तो जगदीश बोला कि मेरे खेत में चर रहीं थीं इसलिये भगा रहा हूं। उसने कहा कि खेत खाली है तो इसी बात पर जगदीश यादव उसे अश्‍लील गंदी-गंदी गालियां देने लगा उसने मना किया तो जगदीश ने उसे पटक कर उसकी बायें हाथ की कलमें वाली उंगली को मुंह में देकर दांत से काट लिया जिससे खून निकला एवं सिर पर डण्‍डा मारा जिससे मूंदी चोट आई। घटना के समय रामलाल यादव सोबरन यादव गये थे जिन्‍होंने उसे बचाया। जाते समय अभियुक्‍त ने उससे बोला कि आज तो बच गया आइन्‍दा जान से मारकर फेंक देंगे।
        अभियुक्‍त के विरूद्ध निर्णय की कण्डिका-01 में वर्णित अनुसार आरोप विरचित किये गये। अभियुक्‍त को आरोप पढ़कर सुनाए समझाये जाने पर उसने अपराध करना अस्‍वीकार किया तथा विचारण किये जाने की प्रार्थना की। धारा 313 दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अन्‍तर्गत किये गये परीक्षण में अभियुक्‍त ने यह प्रतिरक्षा ली है कि वह निर्दोष हैं उसे झूठा फंसाया गया है परंतु अभियुक्‍त की ओर से अपने बचाव में किसी साक्षी को परीक्षित नहीं कराया गया है।
    विरोधी घोषित किये जाने के उपरांत भी उसने तथ्‍य की पुष्टि नहीं की है कि गांव का जगदीश यादव उसकी भैंसों को वहां से भगाने लगा था। उसने भैंस तथा गाय भगाने से रोका तो इसी बात को लेकर जगदीश ने उसे मारा और गालियां दीं तथा उसके मना करने पर आरोपी ने उसे पटक दिया और मुंह में उंगली दबाकर काट लिया जिससे खून निकलने लगा। उक्‍त साक्षी ने अभियोजन के सुझाव पर इस तथ्‍य से भी इंकार किया है कि आरोपी जगदीश ने उसे डंडा मारा था जिससे उसे मुंदी चोटें आईं थीं तथा जाते समय आरोपी जगदीश गाली देते हुए कह रहा था कि अबकि बार तो बच गया आइंदा मिला तो जान से मारकर फेंक देंगे। इस प्रकार स्‍वयं फरियादी सुल्‍तान यादव की साक्ष्‍य से अभियोजन के प्रकरण की पुष्टि नहीं होती है।
    घटना के चक्षुदर्शी साक्षीगण के रूप में रामलाल यादव अभियोजन साक्षी-04 रामनरेश यादव को प्रस्‍तुत किया गया है। उक्‍त दोनों ही साक्षीगण ने अपनी साक्ष्‍य में कथन किया है कि आरोपी तथा फरियादी के मध्‍य कब क्‍या विवाद हुआ था उन्‍हें इसकी जानकारी नहीं है। फरियादी को कैसे चोटें आईं उन्‍हें इसकी जानकारी नहीं है तथा उन्‍होंने कोई घटना नहीं देखी। उक्‍त दोनों साक्षीगण को अभियोजन द्वारा पक्षविरोधी घोषित किया गया है किंतु पक्षविरोधी घोषित किये जाने के उपरांत भी उन्‍होंने अभियोजन के प्रकरण की पुष्टि नहीं की है तथा उनके समक्ष घटना घटित होने के तथ्‍य से इंकार किया है।

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