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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created Sep 20th 2019, 07:20 by


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बहुत पुरानी बात है, एक लकड़हारे और शेर में गहरी मित्रता थी। दोनों का मन एक दूसरे के बिना नहीं लगता था। शेर जंगल में रहता था और लकड़हारा गांव में। लकड़हारा लकड़ियां काटकर और उन्‍हें बेचकर अपनी गृहस्‍थी चला रहा था। सारे दिन वह जंगल में लकड़ियां  काटता था। और शेर उसके पास बैठकर उससे बातें किया करता था।
    एक दिन लकड़हारे ने शेर की दावत करने की सोची और फिर उसने शेर के सामने दावत का प्रस्‍ताव रखा। उसने दावत का प्रस्‍ताव स्‍वीकार कर लिया। लकडियां काटने के बाद शाम को लकड़हारा शेर को अपने घर ले गया। शेर को लकड़हारे के साथ देखकर लकड़हारे की पत्‍नी और बच्‍चे डर गए। उन्‍हें डरा देख लकड़हारे ने उनका डर दूर करते हुए बताया कि शेर उसका मित्र है और आज हमारा अतिथि है। लकड़हारे के बताने पर उसके बच्‍चे खुश हो गए परंतु उसकी पत्‍नी खुश नहीं हुई। वह बुरा सा मुंह बनाते हुए अंदर घर में चली गई।
    लकड़हारे ने शेर की खूब आवभाव की। उससे जो भी बन पड़ा उसने शेर के लिए किया। रात को सोने का वक्‍त होने पर लकड़हारे ने शेर को अपने साथ घर में सुलाना चाहा पर उसकी पत्‍नी ने शेर को घर में सुलाने का विरोध करते हुए कहा कि वह शेर को किसी भी कीमत पर घर में नहीं सोने देगी क्‍योंकि शेर जैसे खूंखार जीव का कोई भरोसा नहीं होता, ऐसा जीव कभी भी नुकसान पहुंचा सकता है। पत्‍नी के विरोध करने पर लकड़हारे ने पत्‍नी को समझाया यह शेर और शेरों की तरह नहीं है। यह साथ सोने पर किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा। लेकिन उसकी पत्‍नी शेर को घर में सुलाने को तैयार नहीं हुई। आखिर हार-थक कर लकड़हारे को अपनी पत्‍नी की बात माननी पड़ी। लकड़हारे की पत्‍नी ने लकड़हारे से शेर के गले में रस्‍सी बांधकर घर के बाहर खड़े एक पेड़ से बांधने को कहा, पत्‍नी की बात मानकर लकड़हारे ने ऐसा ही किया।
    उस रात अचानक मौसम खबरा हो गया, लकड़हारा अपनी पत्‍नी और बच्‍चों के साथ घर में आराम से सोता रहा किंतु शेर बेचारा सारी रात पेड़ के नीचे बंधा बारिश और तेज हवा के थपेड़े सहता रहा। सुबह को लकड़हारा सोकर उठा तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसकी वजह से उसका मित्र सारी रात बारिश में भीगता रहा। यह सोचकर लकड़हारे को बहुत दुख हुआ, उसने शेर से माफी मांगी। शेर ने मुस्‍कराते हुए कहा, इसमें तुम्‍हारी कोई गलती नहीं है मित्र, यह सब खराब मौसम की मेहरबानी है। शेर की बात सुनकर लकड़हारे को खुशी हुई कि उसका मित्र उससे नाराज नहीं है। लकड़हारा लकडियां काटने जंगल आया तो शेर भी उसके साथ जंगल चला गया। लकड़हारा एक दो दिन और शेर को अपने घर रोकना चाहता था पर शेर नहीं रूका।
     

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