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हाईकोर्ट हाईकोर्ट
created Aug 19th 2018, 10:40 by RanjeetKatiyar
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माननीय सभापति महोदय, मै आपकी अनुमति से, शिक्षामंत्री जी ने जो प्रस्ताव सदन के सामने प्रस्तुत किया है, उसका समर्थन करने के लिए खड़ा अवश्य हुआ हूँ लेकिन क्या माननीय मंत्री महोदय जी यह बताने की कृपा करेंगे कि हमारे देश में शिक्षा की नीति का आधार क्या है। शिक्षा की नीति में सबसे प्रमुख बातें क्या होनी चाहिए। इस सम्बन्ध में मेरे विचार स प्रकार है कि अपने देश में व तमाम बच्चे जो पढ़ना चाहते है या जिनके माता पिता पढ़ाना चाहते है उनको शिक्षा प्राप्त करने का अवसर सुलभ होना चाहिए दूसरी बात यह है कि हमारे देश के हरीब लोगों के लिए शिक्षा सस्ती होनी चाहिए और तीसरा बात यह है कि शिक्षा मिलने के बाद इस बात की गारन्टी होनी चाहिए कि जो लोग पढ़-लिख कर निकलें उनकों किसी न किसी काम में लगाया जा सकें।
मेरा आशय यह हा कि शिक्षा नीति को इन तीन कसौटियों को ध्यान में रखकर व्यवहार में लाया जा जाना चाहिए। क्या शिक्षा नीति यहाँ की सस्ती है, क्या सभी को सुलभ है तथा क्या वह रोजगार तलब है। मान्यवर इन तीन कसौटियों पर विचार करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुँचेंगे और यह सदन भी इस निष्कर्ष पर पहुंचेगा कि न तो शिक्षा सुलभ है न सस्ती है और न यह रोजगार तलब है। आज शिक्षा के अन्दर भी वर्ग बने हुए है। क्या शिक्षा हाई क्लास के लोगों के लिए है जो कि उन लोगों को पब्लिक स्कूलों के माध्यम के दी जाती है और वहां पर जो बच्चे पढ़ते हैं उन पर कई सौ रुपये प्रतिमाह व्यय होता है।
दूसरी शिक्षा कामन विद्यार्थियों के लिए है, साधारण विद्यार्थियों के लिए है, साधारण विद्यार्थियों का अर्थ है गांवों बच्चे, जहाँ स्कूल में टाट पट्टी भी नहीं है तथा बैठने के लिए बवन भी नहीं है, वहबाँ पर किताब बी नहीं है, जहाँ पर ब्लैक बोर्ड भी नहीं है। इसके अतिरिक्त इसमें से कुछ ऐसे स्कूल भी है जहां यदि जगह है तो वहाँ मास्टर नहीं है। इस प्रकार यहाँ शिक्षा की यह दशा कर दी गई है एक शिक्षा उच्च वर्ग के बच्चों के लिए है तथा एक शिक्षा साधारण वर्ग के लोगों के लिए है।
मेरा आशय यह हा कि शिक्षा नीति को इन तीन कसौटियों को ध्यान में रखकर व्यवहार में लाया जा जाना चाहिए। क्या शिक्षा नीति यहाँ की सस्ती है, क्या सभी को सुलभ है तथा क्या वह रोजगार तलब है। मान्यवर इन तीन कसौटियों पर विचार करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुँचेंगे और यह सदन भी इस निष्कर्ष पर पहुंचेगा कि न तो शिक्षा सुलभ है न सस्ती है और न यह रोजगार तलब है। आज शिक्षा के अन्दर भी वर्ग बने हुए है। क्या शिक्षा हाई क्लास के लोगों के लिए है जो कि उन लोगों को पब्लिक स्कूलों के माध्यम के दी जाती है और वहां पर जो बच्चे पढ़ते हैं उन पर कई सौ रुपये प्रतिमाह व्यय होता है।
दूसरी शिक्षा कामन विद्यार्थियों के लिए है, साधारण विद्यार्थियों के लिए है, साधारण विद्यार्थियों का अर्थ है गांवों बच्चे, जहाँ स्कूल में टाट पट्टी भी नहीं है तथा बैठने के लिए बवन भी नहीं है, वहबाँ पर किताब बी नहीं है, जहाँ पर ब्लैक बोर्ड भी नहीं है। इसके अतिरिक्त इसमें से कुछ ऐसे स्कूल भी है जहां यदि जगह है तो वहाँ मास्टर नहीं है। इस प्रकार यहाँ शिक्षा की यह दशा कर दी गई है एक शिक्षा उच्च वर्ग के बच्चों के लिए है तथा एक शिक्षा साधारण वर्ग के लोगों के लिए है।
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