Text Practice Mode
दैनिक जागरण समीक्षा 9 अप्रैल जोगेन्द्र सिँह
created Apr 9th 2018, 13:09 by Jogendar Singh
1
341 words
5 completed
5
Rating visible after 3 or more votes
00:00
नेपाल के चीन के पाले में जाने की आशंका के बीच वहां के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए नई दिल्ली का चयन करके यही संकेत दिया कि वह भारत से संबंध सुधारने के उतने ही इच्छुक हैं जितना कि खुद भारत। यह स्थिति जो दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करने में सहायक बननी चाहिए। अभी यह कहना कठिन है कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने विवादित मुद्दों को किनार रखकर आगे बढ़ने का जो फैसला किया उसके कितने अनुकूल परिणाम सामने आएंगे, लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि भारत और नेपाल में सामाजिक एवं सास्कृतिक तौर पर जैसी निकटता है वैसे अन्य किसी देश के बीच मुश्किल से ही देखने को मिलती है। दोनों देशों के नागरिकों में एक-दूसरे के प्रति मैत्रीभाव के साथ ही उनके बीच रोटी-बेटी के भी संबंध हैं। ऐसी स्थिति में उभय देशों के हित में यही है कि वे पुरानी कड़वहट भूलकर आगे बढ़ें। एक ओर जहां भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह नेपाल की सहायता करते समय बड़े भाई की भूमिका में दिखने से बचे वहीं नेपाल को भी यह देखना होगा कि वह चीन के विस्तारवादी रवैये पर नई दिल्ली की चिंताओं को समझे। निःसंदेह नेपाल एक संप्रभु राष्ट्र के तौर पर चीन से भी दोस्ती करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन पड़ोसी देश से संबंध रखने के नाम पर उसे इतना आगे नहीं जाना चाहिए कि भारतीय हितों के साथ-साथ खुद उसके हितों पर आंच आने लगे। उम्मीद है कि एक तो नेपाल का नेतृत्व खुद ही यह समझने को तैयार होगा कि चीन किस तरह छोटे देशों को कर्ज के जाल में फंसाता है और दूसरे, भारतीय नेतृत्व उसे यह संदेश सही तरह से देने में सफल होगा कि चीनी मदद किस तरह उसके गले का फंदा बन सकती है।
भारत के सामने चुनौती केवल नेपाल में चीन के प्रभाव को कम करने और इस पड़ोसी देश को भरोसे में लेने की ही नहीं है, बल्कि यह भी है कि दक्षिण एशिया में चीन को घेरेबंदी की काट कैसे की जाए।
भारत के सामने चुनौती केवल नेपाल में चीन के प्रभाव को कम करने और इस पड़ोसी देश को भरोसे में लेने की ही नहीं है, बल्कि यह भी है कि दक्षिण एशिया में चीन को घेरेबंदी की काट कैसे की जाए।
saving score / loading statistics ...