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नर्मदा सेवा की निरन्तरता
created Feb 1st 2018, 12:22 by aakashrajpoot
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				नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है। नर्मदा और उसकी सहायक नदियॉं मध्यप्रदेश की दो-तिहाई धरती को जीवन देती है। नर्मदा से पेयजल, खेती की उर्वरक क्षमता बढ़ाने, अनाज, फल 
, सब्जी के उत्पादन से न केवल जीवन मिलता है, बल्कि जीवन के लिये जरूरी रोज़गार भी उपलब्ध होता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा पर संकट को महसूस किया और 11 दिसंबर 2016 को नर्मदा जी के उद्गम स्थल अमरकंटक से नर्मदा सेवा यात्रा शुरू की। यह सेवा यात्रा पूरी तरह सामाजिक सरोकारों और सामाजिक जागृति के लिये समर्पित थी। यह नर्मदा में होने वाले प्रदूषण का रोकने, स्वच्छता और जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने और किनारों को फिर से हरा-भरा बनाने की कोशिश थी।
नर्मदा के संरक्षण और जन-जागृति की इस सेवा यात्रा ने 11 दिसंबर 2016 से 15 मई 2017 तक कुल 148 दिनों में नर्मदा नदी के दोनों तटों पर 3350 किलोमीटर की दूरी तय की। यात्रा के दौरान 615 ग्राम पंचायतों, 1100 ग्रामों, 51 विकासखंडों और 16 जिलों में नर्मदा जन-संवाद किया गया। लगभग 25 लाख लोगों की उपस्थिति में 1100 जनसंवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसमें लगभग 1900 उपयात्राओं की सहभागिता रही।
 
 
नर्मदा सेवा का अभियान निरन्तर चलने वाला अभियान है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि जिस तरह नर्मदा प्रदेशवासियों के जीवन को निरंतर संबर्धित और संरक्षित करती है। उसी प्रकार नर्मदा के संरक्षण में भी निरन्तरता की आवश्यकता है। वे प्रति माह नर्मदा संरक्षण अभियान की मॉनीटरिंग भी करते है। यह अभियान निरन्तर चलेगा। इसके किनारे हरे-भरे होंगे और मध्यप्रदेश के जीवन को पुष्पित और पल्लवित होने का स्थायित्व मिलेगा। गॉंवों में यह लोगों को पेयजल उपलब्ध कराती है। किसानों को खेती के लिये पानी देती है। उद्योगों को भी यह अपने तरीके से सहायता पहुँचाती है। कहने का तात्पर्य यह है कि नर्मदा को मध्यप्रदेश में जीवनदायिनी ऐसे ही नहीं कहा जाता।
			
			
	        , सब्जी के उत्पादन से न केवल जीवन मिलता है, बल्कि जीवन के लिये जरूरी रोज़गार भी उपलब्ध होता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा पर संकट को महसूस किया और 11 दिसंबर 2016 को नर्मदा जी के उद्गम स्थल अमरकंटक से नर्मदा सेवा यात्रा शुरू की। यह सेवा यात्रा पूरी तरह सामाजिक सरोकारों और सामाजिक जागृति के लिये समर्पित थी। यह नर्मदा में होने वाले प्रदूषण का रोकने, स्वच्छता और जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने और किनारों को फिर से हरा-भरा बनाने की कोशिश थी।
नर्मदा के संरक्षण और जन-जागृति की इस सेवा यात्रा ने 11 दिसंबर 2016 से 15 मई 2017 तक कुल 148 दिनों में नर्मदा नदी के दोनों तटों पर 3350 किलोमीटर की दूरी तय की। यात्रा के दौरान 615 ग्राम पंचायतों, 1100 ग्रामों, 51 विकासखंडों और 16 जिलों में नर्मदा जन-संवाद किया गया। लगभग 25 लाख लोगों की उपस्थिति में 1100 जनसंवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसमें लगभग 1900 उपयात्राओं की सहभागिता रही।
नर्मदा सेवा का अभियान निरन्तर चलने वाला अभियान है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि जिस तरह नर्मदा प्रदेशवासियों के जीवन को निरंतर संबर्धित और संरक्षित करती है। उसी प्रकार नर्मदा के संरक्षण में भी निरन्तरता की आवश्यकता है। वे प्रति माह नर्मदा संरक्षण अभियान की मॉनीटरिंग भी करते है। यह अभियान निरन्तर चलेगा। इसके किनारे हरे-भरे होंगे और मध्यप्रदेश के जीवन को पुष्पित और पल्लवित होने का स्थायित्व मिलेगा। गॉंवों में यह लोगों को पेयजल उपलब्ध कराती है। किसानों को खेती के लिये पानी देती है। उद्योगों को भी यह अपने तरीके से सहायता पहुँचाती है। कहने का तात्पर्य यह है कि नर्मदा को मध्यप्रदेश में जीवनदायिनी ऐसे ही नहीं कहा जाता।
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