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न्यू जी.आर. पी कॉलोनी भोपाल प्रवीण कुमार सिंह बघेल रीवा
created Jan 3rd 2018, 14:29 by VISHNUPARASHAR
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अमरीका ने पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई है। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साल के पहले ही ट्वीट में कहा कि अमरीका ने प्ंद्रह वर्षों के दौरान मूर्खतापूर्ण तरीके से पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर की सहायता ही है। लेकिन इसके बदले में पाकिस्तान से झूठ और छल ही मिला है। इसके अलावा अमरीका की ओर से पाकिस्तान को दी जाने वाले 25.5 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता पर भी रोक लगा दी गई है। सवाल यही है कि क्या अमरीका अब पाकिस्तान के साथ दोस्ती निभाते हुए उकात गया है या फिर वह पाकिस्तान की चीन के साथ बढ़ती नजदीकी बर्दाश्त नहं कर पा रहा है? इन प्रश्नों के उत्तर जानने से पहले हमें यह समझना चाहिए कि अमरीकी राष्ट्रपति का व्यक्त्वि ऐसा है कि उन्हें उनके ही देश में बहुत गंभीरता से नहीं लिया जाता। उन्होने ट्रांस पैसेफिक एग्रीमेंट से तो कभी विश्व व्यापार संग्ठन से भी निकलने की बात की। वे अमरीका के 'अनडन प्रसीडेंट ' हैं जो अपने पूर्ववर्तियों के कार्यों को बदलने का काम करने में लगे हैं। अमरीका ऐसा शख्तिशाली देश है जिसकी नीतियों में एकरूपता होनी चाहिए लेकिन इन दिनों ऐसा देखने में नहीं आ रहा है। यह तो अच्छा है कि वहां कि लोंकतांत्रिक संस्थाओं द्वारा बहुत सी बातों को नियंत्रित किया जाता है। ट्रंप की तीखी बयानबाजी औश्र हिलिया फैसलों के बाद पाकिस्तान ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि अमरीका ने पाकिस्तान के लिए जो कुछ भी किया है, उसे अनुदान का नाम नहीं दिया जाना चाहिए। अमरीका पाकिस्तान को आतंक के विरूद लड़ाई के नाम पर जो राशि देता है, वास्तव में वह तो सहयोगात्मक राशि की तरह है। चयह तो पाकिस्तान का अधिकर है जो उसे मिलना ही चाहिए। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि अमरीका, अफगानिस्तान में लड़ाई के लिए पाकिस्तान के संसाधनों को इस्तेमाल करता रहा है औश्र वह इसी की कीमत चुकाता आया है। उन्होंने यहां तक कहा कि अमरीका द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता राशि के संदर्भ में 'नो मोर' यानी अब औश्र नहीं का कोई महत्व नहीं है।
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