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'''मन की बात''' गौरव टाइपिंग क्लासेस भोपाल।
created Aug 4th 2017, 09:32 by GAURAVlogs
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				नियंत्रित मन तो फिर भी शहद का छत्ता है लेकिन, अनियंत्रित मन ध्वस्त छत्ते से उड़ती मधुमक्खी की तरह होता है। छत्ते पर पत्थर मारा जाए तो फिर मीठा शहद देने वाली ये मक्खियां कितनी घातक हो सकती हैं, इसे कई लोगों ने भुगता होगा। बस, मन भी ऐसा ही है। शांत् है, सही जगह लगा है तो शहद दे देगा वरना घाव देने में नहीं चूकेगा  बड़ा तेजी से भागता और भगाता है मन। इतना दौड़ाता है कि आप थक जाएंगे और उस थकान का नाम है डिप्रेशन। मन के कारण लोगों ने  फुर्सत और व्यस्तता दोनों  का जमकर दुरूपयोग किया  है। यदि मन नियंत्रित है तो शरीर से जो भी परिश्रम करेंगे वह कृत्य  नहीं, निष्ठा होगी इसलिए मन पर काम करने के लिए  थोड़ा योग कीजिए। तब आपको यह अंतर समझ में आएगा कि आप जो काम करते हैं वही मेहनत है। अपने काम को तीन हिस्सों में बांट सकते हैं। एक कर्म, दूसरा अतिरिक्त कर्म और तीसरी मेहनत। जितना मन पर काम करेंगे, आपको पता लग जाएगा कि   कर्म व मेहनत का फर्क ही खत्म हो गया और आपको थकान जाने कब लगेगी। लेकिन ऐसा तब कर सकेंगे जब यह उड़ता हुआ, भागता हुआ मन नियंत्रण में होगा। वरना  देखिए भारत के गांवो में लोगों को फुर्सत थी लेकिन, वो भी जीवन नहीं बना पाए। शहरों में लोग व्यस्त रहे, वो भी परेशान हुए,क्योंकि सारा मामला  मन का हैं। यदि आप फुर्सत में हैं तो समय का दुरूपयोग मत कीजिए और व्यस्त हैं तो समय को नोच लीजिए। थोड़ा मन पर काम कीजिए, फिर देखिए आपकी फुर्सत भी निराली होगी और व्यस्ता में भी खुशहाली का अहसास होगा। जीवन में समय एवं ऊर्जा  की  उपलब्धता सीमित है। आप जो चाहते हैं यदि नहीं कर पाते हैं तो यह आपके जीवन में निराशा एवं असंतोष लाएगा। यह आपका स्वास्थ्य भी बिगाड़ सकता है। जिसके बिना आप न अपने काम आ सकते हैं न दूसरों के। मेरी राय में दूसरों की इच्छाओं से पहले अपनी आवश्यकताओं को पहले रखना कोई बुरी बात  नहीं हैं। यदि आपकोलगताहै कि केवल दूसरों को खुश करने के लिए हां बोलने के कारण ‘ना’ कहकर आप हित में है तो ‘ना’ ही बोले। साथ ही दूसरों की आवश्यकताओं के लिए  आपके पास समय है तो जरूर  करें। मगर  लोग  अपनी आवश्यकताओं, इच्छओं और अपने आप पर ज्यादा केंद्रित रहते है। दुर्भाग्यवश या सौभाग्वश दुनिया की यही रीत है। साधारणत:लोग  अपने   आप   को हर चीज  से ऊपर  रखते है। यह हमारी सभी की जिम्मेवारी है कि  अपने जीवन के बारे में सोचें और देखभाल सही ढंग से करें। ध्यान रखें कि ब्रह्मांड का केवल एक ही कोना है जिस के प्रति आप निश्यच कर सकते है। जो कि आप स्वयं और जीवन है।  हर किसी को अपना काम बगैर किसी पर निर्भर हुए करना होता है। अपने आप से कभी समझौता  न करें। आप ही  वो मात्र चीज है  जो  अपने पाई है। अपने स्थान को पवित्र माने जो कि एक मात्र स्थान है कि जहां आप स्वयं  को खोज सकते हैं । एक बात दिमाग में हमशा रखें कि लोग जो कहते हैं जो करते हैं और क्यों करते हैं ये चीजें बिल्कुल भिन्न होती  हैं। गुणवत्ता  श्रेष्ठता  एवं उदारता के साथ  गरिमा का ध्यान रखते हुए चीजों को करें। यह हम सभी के अधिकार में हैं।  हम सभी अपने जीवन  का ख्याल रखें एवं दूसरों सइसे बिगाड़ने का अधिकार न  दे। लगन के साथ प्रतिदिन अपना श्रेष्ठ देने का प्रयास करें। यदि आपके पास लगन है तो किसी और चीज की  जरूरत नहीं है।  
			
			
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