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created Apr 25th 2017, 01:02 by Amit Kumar sahu ( TY
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मेधावी और प्रतिभा-सम्पनन छात्रों के मन में विदेशी विश्वविधालयों और संस्थाओं में उच्च शिक्षा पाने की महात्वाकांक्षा का होना बहुत स्वाभाविक है. पर्याप्त जानकारी और उचित दिशा-निर्देश के अभाव में उन्हें विदेशों में शिक्षा प्राप्त करने की बात आकाश से तारे तोड़ लाने जैसी लग्ती है, किन्तु ये सब सच नहीं है, प्रतिभाशाली और होनहार छात्र जो अधिक धनी नहीं है और विदेशो में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, विदेशी विश्वविधालयों और संस्थानों में छात्रवृत्ति की सम्भावनाओं की जानकारी प्राप्त कर अपने भविष्य के लिए आगे का मार्ग निश्चित कर सकते हैं. आइए, इस विषय में आपको कुछ उपयोगी जानकारी दें, ताकि आप भी विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अपना स्वप्न साकार कर सकें.
भारत की शिक्षा प्रणाली बहुत हद तक इंग्लैण्ड की शिक्षा प्रणाली के अनुरूप है. इसके अलावा वहॉं बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग बसे हुए हैं. इसलिए भारती ला्ेग अध्ययन के लिए प्राय: इंग्लैण्ड ही जाना अधिक पंसद करते हैं और अक्सर यह होता है कि अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अधिकांश लोग वहीं नौकरी भी कर लेते हैं. शोध और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाने वाले भारतीयों के साथ भी यही होता है. शायद यही कारण है कि इंग्लैण्ड में कार्यरत् इंजीनियरों, डॉक्टरों तथा अन्य प्रशिक्षित मानव संसाधनों में बड़ी संख्या भारतीय मूल के लोगों की ही है. कुछ ऐसे भी होते हैं, जो वास्तव में स्वदेश वापस आना तो चाहते हैं, लेकिन इंग्लैण्ड में उपलब्ध सुविधाओं, सामाजिक परिवेश एंव अपने बच्चों की ब्रिटिश जिन्दगी के सम्बन्धों को एक झटकें में समाप्म कर सकने का साहस नहीं रखते. इसलिए चाहे-अनचाहे अपनी मातृभूमि से दूर हो जाते हैं.
इंग्लैण्ड में विदेशी छात्रों, विशेषकर भारतीय छात्रों के शिक्षा प्राप्त करने की व्यवस्था के बारे में अनेक प्रकार की भ्रान्तियों हैं. जैसे कुद लोगों का कहना है कि इंग्लैण्ड में शिक्षा प्राप्त करने के लिए अंग्रेजी भाषा में दक्षता आवश्यक है. ऐसे लाेगों के मत में ब्रिटेन की अंग्रेजी सबसे कठिन होती है ओर वहॉं शिक्षा के साथ अंग्रेजी भाषा का स्तर भी महत्वपूर्ण है. भारत कॉन्वेन्ट या अन्य पब्लिक स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए इससे कोई बाधा नहीं पड़ती, किन्तु हिन्दी माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों को वहॉं अवश्य ही अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.
टाईपिंग वर्ड सीपीसीटी टाईपिंग इंस्टिीटयूट सटई रोड छतरपुर
भारत की शिक्षा प्रणाली बहुत हद तक इंग्लैण्ड की शिक्षा प्रणाली के अनुरूप है. इसके अलावा वहॉं बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग बसे हुए हैं. इसलिए भारती ला्ेग अध्ययन के लिए प्राय: इंग्लैण्ड ही जाना अधिक पंसद करते हैं और अक्सर यह होता है कि अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अधिकांश लोग वहीं नौकरी भी कर लेते हैं. शोध और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाने वाले भारतीयों के साथ भी यही होता है. शायद यही कारण है कि इंग्लैण्ड में कार्यरत् इंजीनियरों, डॉक्टरों तथा अन्य प्रशिक्षित मानव संसाधनों में बड़ी संख्या भारतीय मूल के लोगों की ही है. कुछ ऐसे भी होते हैं, जो वास्तव में स्वदेश वापस आना तो चाहते हैं, लेकिन इंग्लैण्ड में उपलब्ध सुविधाओं, सामाजिक परिवेश एंव अपने बच्चों की ब्रिटिश जिन्दगी के सम्बन्धों को एक झटकें में समाप्म कर सकने का साहस नहीं रखते. इसलिए चाहे-अनचाहे अपनी मातृभूमि से दूर हो जाते हैं.
इंग्लैण्ड में विदेशी छात्रों, विशेषकर भारतीय छात्रों के शिक्षा प्राप्त करने की व्यवस्था के बारे में अनेक प्रकार की भ्रान्तियों हैं. जैसे कुद लोगों का कहना है कि इंग्लैण्ड में शिक्षा प्राप्त करने के लिए अंग्रेजी भाषा में दक्षता आवश्यक है. ऐसे लाेगों के मत में ब्रिटेन की अंग्रेजी सबसे कठिन होती है ओर वहॉं शिक्षा के साथ अंग्रेजी भाषा का स्तर भी महत्वपूर्ण है. भारत कॉन्वेन्ट या अन्य पब्लिक स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए इससे कोई बाधा नहीं पड़ती, किन्तु हिन्दी माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों को वहॉं अवश्य ही अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.
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