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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Oct 3rd, 10:04 by lucky shrivatri


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नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्‍वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। देवी का यह स्‍वरूप इच्‍छाशक्ति और आत्‍मबल को दर्शाता है। उन्‍हें स्‍नेह, करूणा, धैर्य और इच्‍छाशक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन मां की उपासना लाल फूलों से करनी चाहिए। साथ ही उन्‍हें गाय के दूध का शुद्ध घी अर्पित करना चाहिए।  
नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी। ब्रह्मा की इच्‍छाशक्ति और तपस्विनी का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्‍य में तप, त्‍याग, वैराग्‍य, सदाचार और सयंम की वृद्धि होती है। मां की उपासना सफेद फूलों से करनी चाहिए। साथ ही उन्‍हें शक्‍कर का भोग लगाना चाहिए।  
नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्‍परूप मां चंद्रघंटा की उपासना की जाएगी। माता चंद्रघंटा का स्‍वरूप साहस, वीरता और निर्भयता का प्रतीक है। वे बाध की सवारी करती है। पौराणिक कथा के अनुसार दैत्‍यों और असुरों के साथ युद्ध में देवी ने घंटों की टंकार से ही असुरों का नाश कर दिया था। इनकी पूजा लाल फूल से करनी चाहिए। साथ ही उन्‍हें दूध या दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाना चाहिए।  
नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा की पूजा की जाएगी। मां के इस स्‍वरूप की पूजा करने से बुद्धि वाणी और प्रखरता की शक्ति मिलती है। इनकी पूजा हरी वस्‍तुओं से करनी चाहिए साथ ही, मालपुए का भोग लगाना चाहिए। माना जाता हैं कि मां कूष्‍मांडा ने ही पिंड से लेकर ब्रह्मांड तक का सृजन किया था। शास्‍त्रों में मां कूष्‍मांडा को अष्‍टभुजा देवी के नाम से भी संबोधित किया गया है।  
नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवें स्‍वरूप मां स्‍कंदमाता की पूजा होती है। माता के इस स्‍वरूप की पूजा करने से संतान संबंधी समस्‍याएं दूर होती हैं। माता की उपासना पीले फूलों से करने के साथ ही उन्‍हें केले का भोग अर्पित करना चाहिए।  
छठे दिन मां दुर्गा के कात्‍यायनी स्‍वरूप की पूजा की जाती है। यह ऋषि कात्‍यायन की पुत्री थीं। इनकी पूजा करने से शीघ्र विवाह का वरदान मिलता  है। यह स्‍त्री की ऊर्जा का स्‍वरूप भी है।  
शारदीय नवरात्र के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें स्‍वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। माता रानी के इस स्‍वरूप की पूजा करने से रोग, शोक और बाधाओं का नाश होता है। इसके अलावा नकारात्‍मक ऊर्जा और तंत्र मंत्र से छुटकारा मिलता है। इस दिन माता की उपासना सुगंध और धूपबत्ती से करें। साथ ही माता को गुड का भोग अर्पित करें।  
नवरात्र के आठवें दिन मां दूर्गा के आठवें स्‍वरूप महागौरी की पूजा होती है। माता महागौरी के भी आभूषण और वस्‍त्र सफेद रंग के हैं, इसीलिए उन्‍हें श्र्वेताम्‍बरधरा भी कहा जाता है। माता के इस स्‍वरूप की पूजा करने से मनचाहे विवाह और सुखद वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है। इस दिन माता की पूजा सफेद फूलों से करें। साथ ही माता को नारियल का भोग अर्पित करें।  
नवरात्र के नौवें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्‍वरूप की पूजा की जाएगी। मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी है। माता के इस स्‍वरूप की पूजा से मुक्ति, मोक्ष और समस्‍त सि8ियां मिलती है। इस दिन माता की पूजा विभिन्‍न रंग के फूलों से करें। साथ ही उन्‍हें काले तिल का भोग लगाना चाहिए।   
 
 
 
 
 
 
 

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