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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Oct 3rd, 06:00 by sandhya shrivatri
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एक बार गॉव के दो व्यक्तियों ने शहर जाकर पैसे कमाने का निर्णय लिया। शहर जाकर कुछ महीने इधर-उधर छोटा-मोटा काम कर दोनों ने कुछ पैसे जमा किये। फिर उन पैसों से अपना-अपना व्यवसाय प्रारंभ किया। दोनों का व्यवसाय चल पड़ा दो साल में ही दोनों ने अच्छी खासी तरक्की कर ली। व्यवसाय को फलता-फुलता देख पहले व्यक्ति ने सोचा कि अब मेरे काम चल पड़ा है। अब तो मैं तरक्की की सीढियां चढ़ता चला जाऊंगा। लेकिन उसकी सोच के विपरीत व्यापारिक उतार-चढ़ाव के कारण उसे साल अत्यधिक घाटा हुआ।
अब तक आसमान में उड़ रहा वह व्यक्ति यथार्थ के धरातल पर आ गिरा। वह उन कारणों को तलाशने लगा, जिनकी वजह से उसका व्यापार बाजार की मार नहीं सह पाया। सबने पहले उसने उस दूसरे व्यक्ति के व्यवसाय की स्थिति का पता लगाया, जिसने उसके साथ ही व्यापार आरंभ किया था। वह यह जानकर हैरान रह गया कि इस उतार-चढ़ाव और मंदी के दौर में भी उसका व्यवसाय मुनाफे में है। उसने तुरंत उसके पास जाकर इसका कारण जानने का निर्णय लिया। अगले ही दिन वह दूसरे व्यक्ति के पास पहुंचा, दूसरे व्यक्ति ने उसका खूब-सत्कार किया और उसके आने का कारण पूछा तब पहला व्यक्ति बोला, दोस्त इस वर्ष मेरा व्यवसाय बाजार की मार नहीं झेल पाया। बहुत घाटा झेलना पड़ा तुम भी तो इसी व्यवसाय में हो। तुमने ऐसा क्या कि इस उतार-चढ़ाव के दौर में भी तुमने मुनाफा कमाया?
यह बात सुन दूसरा व्यक्ति बोला भाई मैं तो बस सीखता जा रहा हूं अपनी गलती से भी और साथ ही दूसरों की गलतियों से भी। जो समस्या सामने आती है, उसमें से भी सीख लेता हूं, और उसके कारण मुझे नुकसान नहीं उठाना पड़ता। बस ये सीखने की प्रवृत्ति ही है, जो मुझे जीवन में आगे बढ़ाती जा रही है। दूसरे व्यक्ति की बात सुनकर पहले व्यक्ति को अपनी भूल का अहसास हुआ। सफलता के मद में वो अति-आत्मविश्वास से भर उठा था और सीखना छोड़ दिया था। वह यह प्राण कर वापस कर वापस लौटा कि कभी सीखना नहीं छोड़गा। उसके बाद उसने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा और तरक्की की सीढि़या चढ़ता चला गया।
अब तक आसमान में उड़ रहा वह व्यक्ति यथार्थ के धरातल पर आ गिरा। वह उन कारणों को तलाशने लगा, जिनकी वजह से उसका व्यापार बाजार की मार नहीं सह पाया। सबने पहले उसने उस दूसरे व्यक्ति के व्यवसाय की स्थिति का पता लगाया, जिसने उसके साथ ही व्यापार आरंभ किया था। वह यह जानकर हैरान रह गया कि इस उतार-चढ़ाव और मंदी के दौर में भी उसका व्यवसाय मुनाफे में है। उसने तुरंत उसके पास जाकर इसका कारण जानने का निर्णय लिया। अगले ही दिन वह दूसरे व्यक्ति के पास पहुंचा, दूसरे व्यक्ति ने उसका खूब-सत्कार किया और उसके आने का कारण पूछा तब पहला व्यक्ति बोला, दोस्त इस वर्ष मेरा व्यवसाय बाजार की मार नहीं झेल पाया। बहुत घाटा झेलना पड़ा तुम भी तो इसी व्यवसाय में हो। तुमने ऐसा क्या कि इस उतार-चढ़ाव के दौर में भी तुमने मुनाफा कमाया?
यह बात सुन दूसरा व्यक्ति बोला भाई मैं तो बस सीखता जा रहा हूं अपनी गलती से भी और साथ ही दूसरों की गलतियों से भी। जो समस्या सामने आती है, उसमें से भी सीख लेता हूं, और उसके कारण मुझे नुकसान नहीं उठाना पड़ता। बस ये सीखने की प्रवृत्ति ही है, जो मुझे जीवन में आगे बढ़ाती जा रही है। दूसरे व्यक्ति की बात सुनकर पहले व्यक्ति को अपनी भूल का अहसास हुआ। सफलता के मद में वो अति-आत्मविश्वास से भर उठा था और सीखना छोड़ दिया था। वह यह प्राण कर वापस कर वापस लौटा कि कभी सीखना नहीं छोड़गा। उसके बाद उसने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा और तरक्की की सीढि़या चढ़ता चला गया।
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