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बंसोड टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0

created Feb 7th 2023, 10:11 by sachin bansod


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उच्‍चतम न्‍यायालय राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण पर रोक लगाने के लिए सन् 2003 से ही लगातार सक्रिय है। सक्रियता के मूल में माननीय न्‍यायाधीशों का यह मानना रहा है कि जनता को उम्‍मीदवारों का पिछला रिकॉर्ड जानने का पूरा ह‍क है। 13 मार्च 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश को विधानसभाओं और संसद के चुनाव में खड़े प्रत्‍याशियों के लिए अपनी शिक्षा, संपत्तियां, बैंक खाते में जमा राशि, देनदारियों के साथ अपने आपराधी मामलों से संबंधित विवरणों को स्‍वयं घोषित कानूनी शपथनामे में बताया अनिवार्य कर दिया था। यदि एक अनुप्रमारक साक्षी यह सिद्ध करता है कि वसीयतकर्ता ने अपने हस्‍ताक्षर की उसे अभिस्‍वीकृति दी है तो यह आवश्‍यक नहीं है कि वसीयतकर्ता दूसरे अनुप्रमारक साक्षी के समय दी गई अभिस्‍वीकृति सिद्ध की जाएगी। यदि दोनों अनुप्रमारक साथियों ने विलेख कर अपने-अपने हस्‍ताक्षर नहीं किए हैं तो दोनों साक्षियों से यह सिद्ध कराना होगा कि उन्‍होंने दस्‍तावेज के निष्‍पादक की व्यक्तिगत अभिस्‍वीकृति के आधार पर अनुप्रमाणित किया है तथा दोनों साक्षियों की साक्ष्‍य ली जावेगी। व्‍यवहार प्रक्रिया संहिता के आदेश 1 नियम 9 एवं 10 के अनुसार जहां ऐसे व्‍यक्ति को जो वाद का आवश्‍यक पक्षकार है उसे वाद में पक्षकार नहीं बनाया जाता है तो ऐसे को आवश्‍यक पक्षकार का असंयोजक कहलाता है। पक्षकारों के असंयोजन आधार पर वाद खारिज नहीं किया जा सकता। न्‍यायालय वादी के निवेदन पक्षकार की अनुपस्थिति में यदि प्रभावी आज्ञप्ति नहीं की जा सकती तो ऐसे वादों को निरस्‍त नहीं किया जा सकता है। परिसीमा अधिनियम के अंतर्गत प्रत्‍येक वाद को सीमा के भीतर पेश करने का प्रावधान है। अर्थात् प्रत्‍येक वाद प्रस्‍तुत करने की परिसीमा निर्धारित की हुई है। परिसीमा के परे वाद न्‍यायालय में प्रस्‍तुत नहीं किया जा सकता और ही न्‍यायालय परिसीमा के परे वाद को सुनने का अधिकार रखती है। यदि कोई पक्ष परिसीमा का लाभ प्राप्‍त करना चाहता है तो उसे वाद में यह स्‍पष्‍ट अंकित करना चाहिए कि वह ऐसी छूट विधि के अनुसार प्राप्‍त करने का अधिकारी है। फौजदारी मामले पुलिस प्रतिवेदन या किसी व्‍यक्ति द्वारा प्रस्‍तुत करने पर न्‍यायिक प्रक्रिया आरंभ हो जाती है। अपराध से व्‍यथित, पीडि़त या अन्‍य कोई भी व्‍यक्ति पुलिस थाने में प्रथम सूचना प्रस्‍तुत करता है तो ऐसी सूचना के आधार पर अपराध का अन्‍वेषण पुलिस अधिकारी द्वारा प्रारंभ किया जाता है।

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