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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

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केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा पेश बजट प्रस्‍तावों में कृषि क्षेत्र के लिए संस्‍थागत ऋण के लक्ष्‍य को 18 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपए किया जाना स्‍वागत योग्‍य हैं। इन ऋणों में पशुपालन, डेयरी और मत्‍स्‍य पालन पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा। सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रयासों के बावजूद अब भी किसान सूदखोरों के जाल में फंसे हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी संस्‍थागत ऋणों की भारी मांग है। देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र की योगदान लगभग 18 प्रतिशत हैं, जबकि हमारे देश की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्‍या कृषि पर निर्भर हैं। कृषि क्षेत्र में उत्‍पादन के लिए आवश्‍यक लोगों से अधिक लोगों का लगे होना भी ग्रामीण क्षेत्रों में औसत आय कम होने का एक कारण है। कृषि क्षेत्र में लगें अतिरिक्‍त लोगों को पशुपालन डेयरी जैसी कृषि से संबंधित गतिविधि में लगाना होगा तथा इन्‍हें धीरे-धीरे कौशल विकास के बाद बैंक ऋणों के माध्‍यम से उद्योग एवं सेवा क्षेत्र से जोड़ना होगा। आशा की जानी चाहिए कि बजट में कृषि क्षेत्र को करीब दो लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्‍त ऋण से कृषि उत्‍पादन में वृद्धि होगी, जिससे खाद्यान्‍न एवं दुग्‍ध अन्‍य डेयरी उत्‍पादों की बढ़ती घरेलू मांग की पूर्ति संभव हो सकेगी। साथ ही हम इनका निर्यात भी बढ़ा सकेंगे।जलवायु परिवर्तन के दुष्‍प्रभावों, कम उत्‍पादकता, निरंतर छोटे होतें खेतों, अपर्याप्‍त फार्म यंत्रीकरण, खाद बीज एवं अन्‍य इनपुट की बढ़ती लागतों तथा भंडारण विपणन की समस्‍याओं से निपटने के लिए सिर्फ बैंकों के माध्‍यम से ऋण बढ़ाना ही पर्याप्‍त नहीं हैं, वरन कृषि से जुड़ी हर समस्‍या के सार्थक समाधान की आवश्‍यकता है। बजट में  कृषि उत्‍पादन के ग्रामीण क्षेत्रों में भंडारण के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया जाना चाहिए था। कुछ बैंकों ने अपने सामाजिक सरोकार फडं (सीएसआर) से ग्रामीण क्षेत्रों में कृषक प्रशिक्षण केंद्रों की स्‍थापना की हैं। सरकार से बजट आवंटन के माध्‍यम से इन कृषक प्रशिक्षण केंद्रों चार-पांच केंद्र खोले जाने चाहिए। हमारे देश में हर साल सैकड़ों किसानों द्वारा की जाने वाली आत्‍महत्‍याएं शर्म का विषय होती है अैर इनका मुख्‍य कारण पूरे परिश्रम के बाद फसल खराब हो जाना होता है। फसल बीमा के क्षेत्र में सरकार भले ही अपने कार्य निष्‍पादन से संतुष्‍ट हो, लेकिन वस्‍तुस्थिति यह हैं कि मानसून पर अत्‍यधिक निर्भरता एवं अन्‍य आपदाओं के चलते फसल बीमा कवरेज को कई गुना बढ़ाया जाना जरूरी है। इसके लिए किसानों में और जागरूकता उत्‍पन्‍न करने के साथ-साथ फसल बीमा करवाने तथा क्‍लेम निपटान की प्रक्रिया को सरल करना आवश्‍यक हैं।        

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