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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Feb 2nd 2023, 06:13 by lucky shrivatri


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लोकसभा चुनाव से पहले के अंतिम पूर्ण बजट में आम आदमी का ध्‍यान रखा जाना अर्थव्‍यवस्‍था, की जरूरत भी थी और राजनीति की भी। बुधवार को पेश किए अपने लगातार पांचवें बजट में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वंचितों के साथ युवा, वृद्ध और महिलाओं को खास तवज्‍जो दी है। आठ साल बाद आयकर छूट सीमा बढ़ाना मध्‍यम वर्ग के लिए खुशखबर मानी जा सकती है, तो गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना के तहत मुफ्त दिए गए जाने वाले राशन की समय सीमा एक साल बढ़ाया जाना कमजोर आय वर्ग के लोगों के लिए बड़ी राहत मानी जा सकती है। इस साल दस राज्‍यों में विधानसभा चुनाव के बाद अगले साल आम चुनाव भी हैं। इसे देखते हुए बजट में राहतों की बौछार तो नहीं दिखाई पड़ती, लेकिन आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान कर इस वर्ग को साधने की कोशिश जरूर की गई है। वरिष्‍ठ नागरिक बचत योजना के लिए निवेश की राशि दोगुनी करना सराहनीय कदम है। इसी तरह महिलाओं के लिए शुरू की गई सम्‍मान बचत पत्र योजना भी इस वर्ग के लिए राहत की बात है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 की शुरूआत की जाएगी। इसके तहत युवाओं को अतंरराष्‍ट्रीय अवसरों के लिए तैयार करने के लिए देशभर में 30 स्किल इंडि़या इंटरनेशनल सेंटर खोलने और युवाओं को भत्ता देने की पहल नई पीढ़ी के लिए हितकर कदम हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए राशि की बढ़ोतरी बेघरों के सपनों को पूरा करने की दिशा में चल रहे अभियान को आगे बढ़ाने में सहायक साबित होगी। नए एयरपोर्ट हेलिपैड बनाने की घोषणा समय की जरूरत मानी जा सकती हे। सिगरेट पर टैक्‍स में बढ़ोतरी करके सरकार ने एक तीर से दो निशाने साधने का काम किया है। चीन से चल रहे विवाद के बीच रक्षा बजट में बढ़ोतरी स्‍वागतयोग्‍य है पर हथियारों की खरीद पर और धन आवंटित किया जाता तो अच्‍छा रहता। विपक्ष ने बजट को शब्‍दों की बाजीगरी बताते हुए इससे महंगाई पर अंकुश नहीं लगने का सवाल उठाया। देश में इस समय बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्‍या है, लेकिन बजट प्रावधानों से इस समस्‍या का समाधान हो पाएगा, इसमें संदेह ही हैं। देश के अन्‍नदाता को मजबूत बनाने की दिशा में भी बजट भाषण राहत का बड़ा संदेश नहीं देता। हां, करों में बढ़ोतरी करके सरकार ने आम आदमी को साधने का प्रयास जरूर किया हैं। वित्तमंत्री ने जो बजट पेश किया हैं, उस पर संसद में पक्ष-विपक्ष अपने विचार रखेगा। महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा होगी, तो दोनों पक्षों से सुझाव भी आएंगे। बेहतर हो कि देश के सामने मुंह बाए खड़ी इन दोनों समस्‍याओं के समाधान की दिशा में कोई रास्‍ता निकाला जाए। बजट किसी भी देश की अर्थव्‍यवस्‍था को प्रतिबिंबित करता है। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बनने का लक्ष्‍य अच्‍छा हैं, लेकिन मूलभूत समस्‍याओं की जड़ से खत्‍म करने पर ही यह उपलब्धि सार्थक मानी जाएगी।      

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