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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Feb 2nd 2023, 04:22 by sandhya shrivatri
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जहां निलम्बित शासकीय सेवक पर पदच्युति, सेवा से हटाये जाने या अनिवार्य सेवानिवृत्ति की अधिरोपित की गई शास्ति इन नियमों के अधीन अपील में या पुनर्विलोकन पर अपास्त कर दी जाये और मामला आगे जांच या कार्यवाही के लिए या किन्ही अन्य निर्देशों के साथ वापस भेज दिया जाये, वहां उसको निलम्बित किये जाने का आदेश, पदच्युति, हटाये जाने या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मूल आदेश के दिनांक को तथा सेवा प्रवृत्त बन रहा समझा जायेगा और आगामी आदेश होने तक प्रवृत्त बना रहेगा।
जहां शासकीय सेवक पर पदच्युति, सेवा से हटाये या अनिवार्य सेवानिवृत्ति की अधिरोपित की गई शास्ति विधि न्यायालय के विनिश्चय के परिणामस्वरूप या द्वारा अपास्त कर दी जाये अथवा शून्य घोषित कर दी जाये या शून्य हो जाये और मामले की परिस्थितियों पर विचार करने पर आनुशासित प्राधिकारी, उसके विरूद्ध उन्हीं अभिकथनों पर, जिन पर कि पदच्युति, हटाये जाने या अनिवार्य सेवानिवृत्ति की शास्ति मूलत: अधिरोपित की गई थी, आगे और जांच करने का विनिश्चय करे वहां शासकीय सेवक, पदच्युति हटाये जाने या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मूल आदेशों के दिनांक से नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा निलम्बित किया गया समझा जायेगा और अगामी आदेश होने तक निलम्बित बना रहेगा। परन्तु निलम्बन आदेश के दिनांक 45 दिन की कालावधि के समाप्त होने पर निलम्बन आदेश उस स्थिति में प्रतिसंहृत हो जायेगा जबकि आरोपो की तथा अन्य दस्तावेजों की, जो उपनियम (2-क) में निर्दिष्ट की गई हैं, प्रतिलिपि ऐसे शासकीय सेवकों को उपनियम (2-ख) के अधीन अपेक्षित किये गये अनुसार आनुशासिक अधिकारी द्वारा यदि वह राज्य सरकार न हो उक्त दस्तावेजों के जारी करने की कालावधि के बढ़ाये जाने के लिए राज्य सरकार का आदेश अभिप्राप्त किये बिना, जारी न की जाये। परन्तु यह और भी कि निलम्बन आदेश के दिनांक से 90 दिन की कालावधि समाप्त होने पर निलम्बल आदेश उस स्थिति में प्रतिसंहृत हो जायेगा जबकि आरोपों की तथा अन्य दस्तावेजों की, जो कि उपनियम (2-क) में निर्दिष्ट की गई प्रतिलिपि शासकीय सेवक को जारी न की जाये। ऐसे शासकीय सेवक के संबंध में, जिसका निलम्बन आदेश खण्ड (क) के प्रथम या द्वितीय परन्तुक के अनुसार प्रतिसंहृत किया गया है, सक्षम प्राधिकारी यदि वह ऐसा करना समीचीन समझे, नियम 14 के उपनियम (4) द्वारा अपेक्षित किये अनुसार उसको आरोपों की अन्य दस्तावेजों की प्रतिलिपि जारी किये जाने के पश्चात् उसे निलम्बित करेगा।
जहां शासकीय सेवक पर पदच्युति, सेवा से हटाये या अनिवार्य सेवानिवृत्ति की अधिरोपित की गई शास्ति विधि न्यायालय के विनिश्चय के परिणामस्वरूप या द्वारा अपास्त कर दी जाये अथवा शून्य घोषित कर दी जाये या शून्य हो जाये और मामले की परिस्थितियों पर विचार करने पर आनुशासित प्राधिकारी, उसके विरूद्ध उन्हीं अभिकथनों पर, जिन पर कि पदच्युति, हटाये जाने या अनिवार्य सेवानिवृत्ति की शास्ति मूलत: अधिरोपित की गई थी, आगे और जांच करने का विनिश्चय करे वहां शासकीय सेवक, पदच्युति हटाये जाने या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मूल आदेशों के दिनांक से नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा निलम्बित किया गया समझा जायेगा और अगामी आदेश होने तक निलम्बित बना रहेगा। परन्तु निलम्बन आदेश के दिनांक 45 दिन की कालावधि के समाप्त होने पर निलम्बन आदेश उस स्थिति में प्रतिसंहृत हो जायेगा जबकि आरोपो की तथा अन्य दस्तावेजों की, जो उपनियम (2-क) में निर्दिष्ट की गई हैं, प्रतिलिपि ऐसे शासकीय सेवकों को उपनियम (2-ख) के अधीन अपेक्षित किये गये अनुसार आनुशासिक अधिकारी द्वारा यदि वह राज्य सरकार न हो उक्त दस्तावेजों के जारी करने की कालावधि के बढ़ाये जाने के लिए राज्य सरकार का आदेश अभिप्राप्त किये बिना, जारी न की जाये। परन्तु यह और भी कि निलम्बन आदेश के दिनांक से 90 दिन की कालावधि समाप्त होने पर निलम्बल आदेश उस स्थिति में प्रतिसंहृत हो जायेगा जबकि आरोपों की तथा अन्य दस्तावेजों की, जो कि उपनियम (2-क) में निर्दिष्ट की गई प्रतिलिपि शासकीय सेवक को जारी न की जाये। ऐसे शासकीय सेवक के संबंध में, जिसका निलम्बन आदेश खण्ड (क) के प्रथम या द्वितीय परन्तुक के अनुसार प्रतिसंहृत किया गया है, सक्षम प्राधिकारी यदि वह ऐसा करना समीचीन समझे, नियम 14 के उपनियम (4) द्वारा अपेक्षित किये अनुसार उसको आरोपों की अन्य दस्तावेजों की प्रतिलिपि जारी किये जाने के पश्चात् उसे निलम्बित करेगा।
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