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created Feb 2nd 2023, 03:27 by Successwithyou


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प्रकरण में अभियोजन साक्षी क्रमांक 4 राम लाल ने कंडिका 18 में कथन किये हैंं कि यह सही है कि प्रदर्श पी 4 एवं 5 में यह भी लिखाया था कि अभियुक्‍त विनोद के द्वारा अभियुक्‍त सिद्धांत सिंह से बार बार संपर्क किया गया तो अभियुक्‍त सिद्धांत सिंह ने उसकी पत्‍नी को अधिवक्‍ता बताते हुए शाखा प्रबंधक से केस कर देने की बात की थी। इसी परिप्रेक्ष्‍य में जब हम अभियोजन साक्षी क्रमांक 4 राम लाल की कंडिका 44 का अवलोकन करते हैं तो उसने कथन किये हैं कि यह कहना सही है कि उसने अभियुक्‍त विनोद के विरूद्ध कोई शिकायत नहीं की थी। यह कहना सही है कि उसने प्रदर्श पी 4 एवं 5 में अभियुक्‍त विनोद के विरूद्ध कोई आरोप नहीं लगाये हैं। इस प्रकार अभियोजन की कहानी भी विरोधाभासी हो गई है। जहां एक ओर अभियुक्‍त सिद्धांत सिंह द्वारा अभियुक्‍त विनोद को सूचक प्रश्‍न की कंडिका 18 में एक दूसरे के विरोधी अभियुक्‍त सिद्धांत सिंह द्वारा अभियुक्‍त विनोद को धमकी देने की कहानी अभियोजन द्वारा बताई गई है, तो दूसरे ओर अभियुक्‍त विनोद को अभियुक्‍त सिद्धांत के साथ अभियुक्‍त बनाकर इस प्रकरण में चालान प्रस्‍तुत किया गया है। वहीं स्‍वयं प्रकरण के मुख्‍य साक्षी ने न्‍यायालय के समक्ष कथन किये हैं कि उसने अभियुक्‍त विनोद के संबंध में तो कोई शिकायत ही नहीं की थी, ऐसी स्थिति में सम्‍पूर्ण अभियोजन कहानी ही भरोसेमंद नहीं रह जाती है। प्रकरण में प्रदर्श पी 136 की रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें जहां तक अंगुष्‍ठ चिह्न का प्रश्‍न है तो उसमें रिपोर्ट में अभियुक्‍त सिद्धांत एवं विनोद के अंगुष्‍ठ चिह्न नहीं पाये गये हैं। स्‍पष्‍ट है कि उनकी राईटिंग में या उनके द्वारा कूटरचित दस्‍तावेज बनाये गये हों ऐसा प्रतीत नहीं होता। उक्‍त साक्ष्‍य से अभियुक्‍तगण के द्वारा आरोपित अपराध नहीं किये जाने के संबंध में बल मिलता है। अभियोजन के साक्षियों तथा हस्‍तलिपि विशेषज्ञ की रिपोर्ट से अभियोजन की कहानी अभियुक्‍तगण के संबंध में की उनके द्वारा आरोपित अपराध किया गया है, इस संबंध में कोई स्‍पष्‍ट साक्ष्‍य नहीं होने से अभियोजन की कहानी अत्‍यधिक निर्बल हो गई है एवं विश्‍वास किये जाने योग्‍य नहीं रह जाती है। इसी प्रकार प्रकरण में ऐसी कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गई है।    

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