eng
competition

Text Practice Mode

साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565

created Feb 1st 2023, 07:08 by Ramprashad dubey


1


Rating

427 words
11 completed
00:00
केन्‍द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को आगामी वित्तीय वर्ष का जो बजट पेश करने जा रही हैं वह वर्ष 2024 के आम चुनाव पहले सरकार का अ‍ंतिम पूर्ण बजट होगा। जाहिर हैं कि बजट में चुनाव की छाया रहने वाली हैं। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने भी कहा है कि हमारे बजट पर सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया का ध्‍यान हैं। ऐसे में लोगों की अपेक्षाएं भी कम नहीं है। बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण  में जो सकेंत दिए गए हैं, उनके मुताबिक  भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था कोविड महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध दुनिया के देशों में मौद्रिक सख्‍ती की तीन बड़ी चुनौतियों के बावजूद सभी क्षेत्रों में विकास के पक्ष पर आगें बढ़ रही है। दुनिया के कई देशों से पहले ही भारत ने कोरोना पूर्व की स्थिति हासिल कर ली है, जो संतोषजनक कही जा सकती है। बीते वर्ष 2022-23 के लिए आर्थिक सर्वे रिपोर्ट पेश हुई तब 2022-23 में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍
था की विकास दर 8 से 8.5 फीसदी तक रहने का अनुमान लगाया गया था। अब आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि 2022-23 में विकास दर 7 फीसदी रह सकती हैं। तमाम उपलब्धियों के बावजूद महंगाई पर लगाम लगाने की चुनौती बरकरार है। दुनियाभर में कीमतें बढ़ने के कारण रुपए पर दबाव बना रह सकता है। आर्थिक सर्वे में यह कहा भी गया है कि अतंरराष्‍ट्रीय कीमतों ने भारत में भी महंगाई बढ़ाई जिससे खाद्य पदार्थों के दाम में उछाल आया। संतोष इस बात का है कि खुदरा मंहगाई नंवबर 2022 में घटकर फिर आरबीआइ के लक्षित दायरे में गई है। इसके बावजूद महंगाई पर नियंत्रण के लिए ठोस प्रयास करने होंगे। अर्थव्‍यवस्‍था को तेज रफ्तार तब मिल पाएगी जब सरकार आम आदमी को करों में राहत देने का काम करें। हर बजट में खास तौर से मध्‍यवर्गीय नौकरीपेशा लोगों को व्‍यक्तिगत आयकर में छूट की उम्‍मीद रहती है। स्‍पष्‍ट है कि आम आदमी के हाथ में पैसे बचेंगे तो उसकी क्रय शक्ति भी बढ़े्गी। वित्त मंत्री के सम्‍मुख दोहरी चुनौती है। उन्‍हें सरकार की जनकल्‍याणी योजनाओं के साथ चहुंमुखी विकास के लिए भी पर्याप्‍त बजट प्रावधान करने होंगे। विचार इस पर भी करना होगा कि आखिर देश के 81 करोड़ लाभार्थियों को राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मुफ्त खाद्यान देने की नौबत अब भी क्‍यों रही हैं ? जाहिर है रोजगार उपलब्‍ध कराने की दिशा में भी आवश्‍यक कदम उठाने होंगे। बजट से यों तो हर वर्ग की अपनी-अपनी अपेक्षाएं होती हैं
, पर लोगों की रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरतें प्राथमिकता से पूरी हों, इसके साथ सबको शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य सुलभ हो, तभी समावेशी विकास संभव है।          

saving score / loading statistics ...